Sovereign Gold Bond: इस सीरीज को भुना सकेंगे निवेशक, RBI ने तय की कीमत; मिलेगा 213% का तगड़ा रिटर्न
Sovereign Gold Bond: अगर आपने 2019 में गोल्ड बॉन्ड खरीदा था, तो अब वक्त है मुनाफा भुनाने का। RBI ने रिडेम्पशन प्राइस ऐलान कर दिया है। निवेशकों को करीब 213% का बंपर रिटर्न मिलेगा! जानिए, कब और कैसे मिलेगा ये फायदा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम नवंबर 2015 में भारत सरकार ने शुरू की थी।
Sovereign Gold Bond: बहुत से निवेशक Sovereign Gold Bond (SGB) 2019-20 सीरीज-VI के अगले प्रीमैच्योर रिडेम्पशन का इंतजार कर रहे थे। उनके लिए अच्छी खबर है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस ट्रांच के लिए रिडेम्पशन प्राइस का ऐलान कर दिया है। पात्र निवेशक 30 अक्टूबर 2025 को अपने बॉन्ड रिडीम कर सकेंगे। यह ठीक पांच साल बाद की तारीख है, जब ये बॉन्ड 30 अक्टूबर 2019 को जारी किए गए थे।
पांच साल बाद रिडेम्पशन की इजाजत
सरकार की अधिसूचना (30 सितंबर 2019) के मुताबिक, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को जारी होने के पांच साल बाद प्रीमैच्योर (premature) रिडेम्पशन की इजाजत है। हालांकि, यह केवल ब्याज भुगतान की तारीख पर ही किया जा सकता है।
इस सीरीज के लिए यह मौका 30 अक्टूबर 2025 को है। जो निवेशक रिडेम्पशन चुनते हैं, उन्हें रकम सीधे उनके बैंक खातों में मिलेगी।
रिडेम्पशन प्राइस कैसे तय होता है
रिडेम्पशन प्राइस, रिडेम्पशन की तारीख से पहले तीन कारोबारी दिनों में India Bullion and Jewellers Association (IBJA) द्वारा जारी 24 कैरेट सोने के औसत क्लोजिंग प्राइस के आधार पर तय किया जाता है।
इस बार RBI ने प्रति यूनिट ₹11,992 का रिडेम्पशन प्राइस तय किया है। यह कीमत 27, 28 और 29 अक्टूबर 2025 को दर्ज सोने के औसत दामों पर आधारित है।
6 साल में 213% का शानदार रिटर्न
अगर आपने अक्टूबर 2019 में ₹3,788 प्रति ग्राम की दर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश किया था, तो अब आपको अक्टूबर 2025 में ₹11,992 प्रति ग्राम मिलेंगे।
इसका मतलब कि जिस सोने पर आपने छह साल पहले ₹3,788 खर्च किए थे, उसकी कीमत अब ₹11,992 हो गई है। यानी आपका पैसा तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया- लगभग 213% का फायदा।
इस रिटर्न में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का असर शामिल है। मतलब कि निवेशकों को न सिर्फ हर साल 2.5% ब्याज मिला, बल्कि सोने की बढ़ती कीमतों से पूंजीगत लाभ (capital gain) भी हुआ।
क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम नवंबर 2015 में भारत सरकार ने शुरू की थी, ताकि लोग फिजिकल सोना खरीदने की बजाय एक सुरक्षित और आसान विकल्प में निवेश करें। इन बॉन्ड्स को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सरकार की ओर से जारी करता है। इस स्कीम में निवेशकों को दो तरह का फायदा मिलता है:
1. फिक्स्ड ब्याज: सरकार हर साल निवेशकों को 2.5% का तय ब्याज देती है, जो बॉन्ड खरीदते समय तय कीमत (इश्यू प्राइस) पर आधारित होता है। यह ब्याज हर छह महीने में खाते में जमा किया जाता है।
2. पूंजीगत लाभ (Capital Gain): अगर बॉन्ड की अवधि के दौरान सोने की कीमत बढ़ती है, तो निवेशक को उसी अनुपात में रिटर्न मिलता है। यानी बॉन्ड मैच्योर या रिडीम होने पर निवेशक को बढ़े हुए सोने के भाव के हिसाब से पैसा मिलता है।
इसका मुख्य मकसद भारत की सोने के आयात पर निर्भरता को कम करना, घरेलू स्तर पर सोने का स्टोरेज घटाना और बचत को वित्तीय बाजार में लाना था।
बॉन्ड की अवधि और ट्रेडिंग
SGB की कुल अवधि 8 साल की होती है। हालांकि, निवेशक चाहें तो 5 साल बाद ब्याज भुगतान की तारीख पर इसे रिडीम कर सकते हैं।
इन बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा-बेचा जा सकता है, किसी और को ट्रांसफर किया जा सकता है, या लोन के लिए गिरवी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियम
Income Tax Act, 1961 के तहत SGB पर मिलने वाला ब्याज टैक्स योग्य (taxable) है। लेकिन अगर निवेशक बॉन्ड को मैच्योरिटी या रिडेम्पशन पर निकालते हैं, तो कैपिटल गेन टैक्स से पूरी छूट मिलती है।
हालांकि, अगर बॉन्ड को एक्सचेंज पर बेचा जाता है, तो इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ टैक्स देना पड़ सकता है।