1 अप्रैल से होटल में ठहरकर वहां खानापीना महंगा हो सकता है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कहा है कि एक वित्त वर्ष में किसी भी समय कमरे का किराया 7,500 रुपये रोज से अधिक वसूलने वाले होटल को अगले वित्त वर्ष के लिए ‘स्पेसिफिाइड परिसर’ माना जाएगा। ऐसे परिसरों के अंदर दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। 1 अप्रैल, 2025 से, ऐसे रेस्टोरेंट, जो होटलों के अंदर चलते हैं, उनकी टैक्सेबिलिटी ट्रांजेक्शनल वैल्यू या सप्लाई की वैल्यू पर बेस्ड होगी।
यह मौजूदा ‘डिक्लेयर्ड टैरिफ’ सिस्टम की जगह लेगी। डिक्लेयर्ड टैरिफ सिस्टम में रहने के लिए किराए पर दी गई जगह में दी गईं सभी सुविधाओं के लिए चार्जेस शामिल हैं, जैसे फर्नीचर, एसी, रेफ्रिजरेटर या अन्य सुविधाएं। CBIC ने स्पेसिफाइड परिसर में दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विस टॉपिक पर जारी FAQ में यह बात कही है।
किराया 7,500 रुपये से कम वाले होटल में रेस्टोरेंट सर्विसेज पर GST
CBIC के मुताबिक, रेस्टोरेंट सर्विसेज की मौजूदगी वाले ऐसे होटल जिनके कमरे का किराया पिछले वित्त वर्ष में 7,500 रुपये प्रतिदिन से अधिक रहा है, उनके अंदर दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। वहीं ऐसे होटल जिनके कमरे का किराया पिछले वित्त वर्ष में 7,500 रुपये प्रतिदिन से अधिक नहीं रहा है, उनके अंदर रेस्टोरेंट सर्विसेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना 5 प्रतिशत की जीएसटी रेट लागू रहेगी। हालांकि ऐसे होटल चाहें तो अपनी इच्छा से ‘स्पेसिफाइड परिसर’ क्लासिफिकेशन को अपना सकते हैं। यह घोषणा तब तक वैध रहेगी, जब तक वे उससे बाहर निकलने का विकल्प नहीं चुनते हैं।
साथ ही, जिस होटल की अगले वित्त वर्ष से कमरे का किराया 7,500 रुपये से अधिक वसूलने की योजना है, वे चालू वित्त वर्ष की 1 जनवरी से लेकर 31 मार्च तक की अवधि के बीच जीएसटी अधिकारियों के समक्ष ‘ऑप्ट इन’ डिक्लेरेशन फाइल कर सकते हैं। नए रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाले होटलों को परिसर को ‘स्पेसिफाइड परिसर’ घोषित करते हुए इस क्लासिफिकेशन को हासिल करने के 15 दिन के अंदर इस व्यवस्था को अपनाने के बारे में जानकारी देनी होगी।