आरबीआई के इंटरेस्ट रेट घटाने की उम्मीद के चलते बॉन्ड जैसे डेट एसेट क्लास की चमक बढ़ रही है। निवेशक मौके का फायदा उठाने के लिए टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं। इन बॉन्ड्स की ट्रेडिंग बीएसई और एनएसई पर होती है। कुछ टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में अच्छी ट्रेडिंग हो रही है। इनकी यील्ड भी अट्रैक्टिव है। इनमें निवेश करना काफी सुरक्षित है और रेगुलर इनकम होती है। खासकर इनकम टैक्स के ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए ये बॉन्ड्स काफी अट्रैक्टिव हैं।
इन कंपिनियों के बॉन्ड्स निवेश के लिए उपलब्ध
NHAI, IRFC और Power Finance Corporation (PFC) सहित कुल 14 सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर सरकारी कंपनियों ने टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए हैं, जिनकी ट्रेडिंग एनएसई और बीएसई में होती है। ये बॉन्ड्स 2012 और 2016 के बीच जारी किए गए हैं। इन्हें 10 साल, 15 साल और 20 साल के लिए जारी किया गया था। इनके इंटरेस्ट का पेमेंट हर साल किया जाता है। इनमें से ज्यादातर बॉन्ड्स को 'AAA' की सबसे हाई रेटिंग हासिल है।
एनएसई और बीएसई पर होती है ट्रेडिंग
टैक्स-फ्री बॉन्ड्स पर इंटरेस्ट से होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है। चूंकि, ये बॉन्ड्स सरकारी कंपनियों की तरफ से इश्यू किए गए हैं, जिससे इन पर इंडियन गवर्नमेंट की गारंटी होती है। इसलिए इनमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए ये बॉन्ड्स उन निवेशकों के लिए ठीक हैं, जो अपनी पूंजी की सुरक्षा के साथ रेगुलेर इनकम चाहते हैं। टैक्स-फ्री बॉन्ड्स की कुल 193 सीरीज में से 92 सीरीज मैच्योर हो गई हैं। बाकी की ट्रेडिंग एनएसई और बीएसई पर होती है।
निवेश में इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप इन टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश करना चाहते हैं तो आपको ज्यादा लिक्विडिटी और यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) वाले बॉन्ड्स में निवेश करना चाहिए। वाइटीएम का मतलब उस सालाना रिटर्न से है, जिसके मिलने की उम्मीद निवेश को होती है अगर वह मैच्योरिटी तक अपना निवेश बनाए रखता है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के डेटा के मुताबिक, इस सीरीज के ज्यादातर बॉन्ड्स में लिक्विडिटी कम है। लेकिन 20 ऐसी सीरीज हैं जिनका वाइटीएम हाई है और लिक्विडिटी भी अच्छी है।
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ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशकों के लिए अट्रैक्टिव
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के मुताबिक, टैक्स-फ्री बॉन्ड्स की ऐसी 15 सीरीज हैं, जिनमें अपेक्षाकृत 5.5 से 5.9 फीसदी वाइटीएम के बीच ट्रेडिंग होती है। इस रिटर्न की तुलना कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के रिटर्न से की जा सकती है। लेकिन, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और बैंक एफडी पर मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। इससे 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाले इनवेस्टर्स के लिए टैक्स के बाद इनका रिटर्न घटकर क्रमश: करीब 5.1 फीसदी और 4.3 फीसदी रह जाता है। इसलिए ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशकों के लिए टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश करना फायदेमंद है।