टैक्स लायबिलिटी 10000 से ज्यादा है तो 15 मार्च से पहले जरूर जमा कर दें एडवान्स टैक्स

अगर टीसीएस/टीसीएस या MAT क्रेडिट को एडजस्ट करने के बाद किसी टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी 10,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसके लिए एडवान्स टैक्स जमा करना जरूरी हो जाता है। हालांकि, सीनियर सिटीजंस को इस मामले में थोड़ी राहत मिलती है

अपडेटेड Mar 06, 2025 पर 4:18 PM
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60 से ज्यादा साल के लोग जिनकी बिजनेस से कोई इनकम नहीं है उन्हें एडवान्स टैक्स जमा करने से छूट हासिल है।

यह फाइनेंशियल ईयर (2024-25) 31 मार्च को खत्म होने जा रहा है। यह अपनी इनकम टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करने और एडवान्स टैक्स की अंतिम किस्त जमा करने का वक्त है। टैक्सपेयर्स को 'पे ऐज यू अर्न' के सिद्धांत पर इनकम टैक्स का पेमेंट करना पड़ता है। किसी व्यक्ति को तब एडवान्स टैक्स चुकाना जरूरी हो जाता है जब टीडीएस/टीसीएस को एडजस्ट करने के बाद उसका टैक्स 10,000 रुपये से ज्यादा बनता है।

एडवान्स टैक्स किसे जमा करना जरूरी है?

अगर टीसीएस/टीसीएस या MAT क्रेडिट को एडजस्ट करने के बाद किसी टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी 10,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसके लिए एडवान्स टैक्स जमा करना जरूरी हो जाता है। हालांकि, सीनियर सिटीजंस को इस मामले में थोड़ी राहत मिलती है। 60 से ज्यादा साल के लोग जिनकी बिजनेस से कोई इनकम नहीं है उन्हें एडवान्स टैक्स जमा करने से छूट हासिल है।


एडवान्स टैक्स का कैलकुलेशन और पेमेंट कैसे करें?

स्टेप 1: टैक्स रीजीम को सेलेक्ट करें

इंडिविजुअल और HUF टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन ओल्ड या न्यू टैक्स रीजीम के चॉयस के आधार पर होता है। अगर आपको यह पता नहीं है कि दोनों में से कौन सी रीजीम आपके लिए फायदेमंद है तो आपको दोनों रीजीम में टैक्स का कैलकुलेशन करना ठीक रहेगा और आपको उस रीजीम को सेलेक्ट करना होगा, जिसमें आपका टैक्स कम बन रहा है।

ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी कोई बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम नहीं है, उन्हें हर साल नई रीजीम और पुरानी रीजीम के बीच स्विच करने की इजाजत है। हालांकि, ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी बिजनेस इनकम है, उन्हें अपने चुनी गई रीजीम का तब तक इस्तेमाल करना जरूरी है जब तक वे स्थायी रूप से ओल्ड रीजीम को सेलेक्ट नहीं कर लेते हैं।

अगर इनकम टैक्स फाइल करते वक्त कोई टैक्सपेयर अपनी रीजीम बदलता है तो उसकी एडवान्स टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन उसकी तरफ से बाद में चुनी गई रीजीम के आधार पर होगा। फिर उसे जमा किया गया टैक्स कम रहने पर उस पर इंटरेस्ट चुकाना होगा।

स्टेप 2: नेट टैक्स लायबिलिटी के कैलकुलेशन के लिए टीसीएस/टीडीएस क्रेडिट को एडजस्ट करें

एडवान्स टैक्स का कैलकुलेशन करेंट ईयर की अनुमानित इनकम और अप्लिकेबल टैक्स रेट के आधार पर होता है। उसके बाद टोटल टैक्स लायबिलिटी के साथ टैक्सपेयर के कुल क्रेडिट हुए टीडीएस/टीसीएस को एडजस्ट किया जाता है।

आप अपने टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट को चेक करने के लिए फॉर्म 26एएस को देख सकते हैं। हालांकि, फॉर्म 26 में टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट तभी दिखेगा अगर डिडक्टर/कलेक्टर ने टीडीएस रिटर्न फाइल किया होगा। 1 जनवरी, 2025 से 31 मार्च, 2025 के बीच आपको अपनी सैलरी, इंटरेस्ट या इनकम के दूसरे स्रोत पर टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट का अनुमान लगाना होगा।

इसे हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी टैक्सपेयर की कुल टैक्स लायबिलिटी 15,000 रुपये है और टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट अमाउंट 6,000 रुपये है तो उसकी नेट टैक्स लायबिलिटी 9,000 रुपये होगी। उसे एडवान्स टैक्स नहीं चुकाना होगा। लेकिन, अगर टीडीएस/टीसीएस सिर्फ 4,900 रुपये और नेट टैक्स लायबिलिटी 10,100 रुपये है तो टैक्सपेयर को चार किस्तों में 10,100 रुपये का एडवान्स टैक्स जमा करना होगा।

स्टेप 3: किस्त का कैलकुलेशन

एडवान्स टैक्स चार किस्तों में जमा होता है। इसके लिए तारीख पहले से तय हैं। हर किस्त का कैलकुलेशन टोटल टैक्स लायबिलिटी के फीसदी में होता है और इसमें पिछला पेमेंट कम रहने पर कम रही रकम भी शामिल होती है।

अंतिम तारीख चुकाया जाना वाला एडवान्स टैक्स फीसदी में अगर टीडीएस/टीसीएस और मैट को एडजस्ट करने के बाद आपकी नेट टैक्स लायबिलिटी 1 लाख रुपये आती है
15 जून 15% 15000 रुपये चुकाने होंगे
15 सितंबर  45 फीसदी  30000 रुपये चुकाने होंगे (कुल चुकाया गया टैक्स 45000)
15 दिसंबर 75% 30000 रुपये चुकाने होंगे (कुल चुकाया गया टैक्स 75000)
15 मार्च 100% 25000 रुपये चुकाने होंगे (कुल चुकाया गया टैक्स 100000)

कुछ टैक्सपेयर्स को राहत

प्रिजम्प्टिव इनकम टैक्स स्कीम के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स: ऐसे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 44एडी या 44एडीए के तहत प्रिजम्प्टिव स्कीम को सेलेक्ट करते हैं उन्हें एडवान्स टैक्स की सिर्फ एक किस्त को जमा करना पड़ता है। उन्हें 15 मार्च से पहले फाइनेंशियल ईयर की कुल टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन और उसे डिपॉजिट करना जरूरी है।

सीनियर सिटीजंस: ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है और जिनकी बिजनेस या प्रोफेशन से कोई इनकम नहीं है, उन्हें एडवान्य टैक्स जमा करने से छूट हासिल है।

एडवान्स टैक्स का पेमेंट पोर्टल (https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/) के जरिए 'ई-पे टैक्स' सर्विस के इस्तेमाल से करना होगा। यह 'क्विक लिंक' सेक्शन में होमपेज पर मिल जाएगा। रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स भी पोर्टल पर लॉग-इन कर इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

फाइनेंशियरलर ईयर 2024-25 के लिए टैक्सपेयर्स को एसेसमेंट ईयर 2025-26 सेलेक्ट करना होगा और 'एडवान्स टैक्स (100)' सेलेक्ट करना होगा जो टाइप ऑफ पेमेंट (माइनर हेड) के तहत होगा।

एडवान्स टैक्स नहीं जमा करने पर क्या होगा?

एडवान्स टैक्स की किस्त नहीं चुकाने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्श 234बी और 234सी के तहत इंटरेस्ट लगा सकता है। पेमेंट में किसी तरह की देर होने पर इंटरेस्ट चार्ज के रूप में अतिरिक्त पैसा चुनका होगा।

अगर कोई टैक्सपेयर 31 मार्च से पहले अपनी कुल टैक्स लायबिलिटी का 90 फीसदी से कम चुकाता है तो उसे हर महीने 1 फीसदी सिंपल इंटरेस्ट रेट से इंटरेस्ट चुकाना होगा।

शॉर्ट पेमेंट या मिस्ड इंस्टॉलसमेंट (सेक्शन 234सी) पर इंटरेस्ट: इस सेक्शन के तहत इंटरेस्ट ऐसे टैक्सपेयर्स पर लगता है जो समय पर अपने एडवान्स टैक्स की किस्त चुकाने में फेल कर जाते हैं। इस पर हर महीने 1 फीसदी का इंटरेस्ट रेट देना पड़ता है।

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समय पर एडवान्स टैक्स के पमेंट से टैक्सपेयर्स को किसी तरह का गैरजरूरी इंटरेस्ट नहीं चुकाना पड़ता है। इसलिए अंतिम वक्त तक इंतजार नहीं करें। 15 मार्च, 2025 से पहले अपने एडवान्स टैक्स को कैलकुलेट करने के बाद जरूर चुका दें।

(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मसलों के एक्सपर्ट हैं)

Abhishek Aneja

Abhishek Aneja

First Published: Mar 06, 2025 4:05 PM

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