Tax Saving: सेक्शन 80C के तहत कैसे बचा सकते हैं ₹1.5 लाख तक का इनकम टैक्स, जानिए बेनिफिट की पूरी डिटेल

Income Tax Saving: पुरानी आयकर व्यवस्था के तहत सेक्शन 80C के तहत एक टैक्सपेयर मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स डिडक्शन क्‍लेम कर सकता है। इस सेक्शन का फायदा व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के लिए रहता है

अपडेटेड Mar 16, 2025 पर 4:22 PM
Story continues below Advertisement
डिडक्शंस की बात चल रही हो तो सबसे पॉपुलर माना जाता है सेक्शन 80C

Tax Saving: वित्त वर्ष 2024-25 खत्म होने को है। अगर आपने इस वित्त वर्ष के लिए अभी तक टैक्स सेविंग नहीं की है तो 31 मार्च 2025 तक ऐसा कर सकते हैं। अगर आपने पुरानी आयकर व्यवस्था को अपनाया हुआ है तो आयकर कानून के नियमों के तहत कई तरह के टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) का फायदा लेकर टैक्स देनदारी घटाई जा सकती है। नई आयकर व्यवस्था में करदाता को केवल गिने-चुने टैक्स डिडक्शंस का ही फायदा मिल रहा है।

डिडक्शंस की बात चल रही हो तो सबसे पॉपुलर माना जाता है सेक्शन 80C। ज्यादातर टैक्सपेयर्स सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम करते हैं। आइए जानते हैं सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट्स की पूरी डिटेल...

कौन-कौन से सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट होते हैं कवर


पुरानी आयकर व्यवस्था के तहत सेक्शन 80C के तहत एक टैक्सपेयर मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स डिडक्शन क्‍लेम कर सकता है। इस सेक्शन का फायदा व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUFs) के लिए रहता है। सेक्शन 80C के अंतर्गत जिन निवेश विकल्पों पर टैक्स डिडक्शन मिलता है, उनमें- जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, EPF कॉन्ट्रीब्‍यूशन, VPF कॉन्ट्रीब्‍यूशन, LIC के एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में जमा, टैक्स सेवर FD में जमा, सुकन्या समृद्धि स्कीम में निवेश, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में जमा, NSC में डिपॉजिट, Ulip, बच्चों की ट्यूशन फीस, नाबार्ड बॉन्ड, चुनिंदा इक्विटी शेयरों का सब्सक्रिप्शन और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट शामिल है।

सेक्शन 80C के बारे में जानने के लिए सेक्शन 80CCC और 80CCD के बारे में जानना भी जरूरी है। इनके बिना 80C अधूरा माना जाता है।

सेक्शन 80CCC

आयकर कानून का यह सेक्शन, LIC या किसी भी बीमा कंपनी के किसी भी एन्युइटी प्लान में इनवेस्टमेंट पर टैक्स डिडक्शन की पेशकश करता है। एन्युइटी का मतलब है पेंशन। इस डिडक्शन को क्लेम करने के लिए प्लान, पेंशन देने वाला होना चाहिए। एन्युइटी प्लान से हासिल होने वाली पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर ब्याज सहित मिलने वाला कुल अमाउंट या बोनस इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं।

ईपीएफ में जमा पैसा टैक्स-सेविंग्स और इमर्जेंसी सिचुएशन में करता है आपकी मदद

सेक्शन 80CCD

सेक्शन 80CCD (1): यह सब-सेक्शन केंद्र सरकार की पेंशन स्कीम के तहत पेंशन खाते में जमा पर टैक्स डिडक्शन की पेशकश करता है। सैलरीड एंप्लॉयी अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत तक पेंशन अकाउंट में जमा कर डिडक्शन क्लेम कर सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है।

याद रहे कि सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा का ​टैक्स डिडक्शन क्लेम नहीं किया जा सकता है।

सेक्शन 80CCD (1B): इसके जरिए सैलरीड एंप्लॉयी अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त 50000 रुपये तक के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकता है। NPS के मैच्योरिटी अमाउंट में से जो 60 प्रतिशत तक एकमुश्त मिलता है, वह टैक्स फ्री है लेकिन मंथली एन्युइटी इनकम टैक्सबेल है।

सेक्शन 80CCD (2): NPS में एंप्लॉयर के कॉन्ट्रीब्यूशन पर भी कर्मचारी सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यह सैलरी के 10 प्रतिशत के बराबर होता है। 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी नई आयकर व्यवस्था के तहत सैलरीड कर्मचारी, अपने NPS खाते में एंप्लॉयर की ओर से किए जाने वाले योगदान पर सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है।

Ritika Singh

Ritika Singh

First Published: Mar 16, 2025 3:11 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।