50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर सरचार्ज लगता है। इनकम टैक्स लायबिलिटी में 4 फीसदी हेल्थ और एजुकेशन टैक्स भी जोड़ा जाएगा।
सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 से टैक्सपेयर्स को नया विकल्प दिया है। इसके तहत आपको डिडक्शंस और एगजेम्प्शन नहीं मिलेगा। लेकिन, टैक्स का रेट कम होगा। टैक्स का पुराना सिस्टम भी बंद नहीं किया गया है। टैक्सपेयर्स नए या पुराने में से किसी एक सिस्टम को सेलेक्ट कर सकते हैं। हालांकि, एक बार नए सिस्टम को सेलेक्ट करने के बाद आपको लाइफ टाइम में सिर्फ एक बार फिर से पुराने सिस्टम में लौटने की इजाजत होगी।
अब हम आपको नए सिस्टम में टैक्स स्लैब के बारे में बता रहे हैं। यह वित्त वर्ष 2021-22 के लिए है।
इनकम टैक्स स्लैब
इनकम टैक्स रेट (% में)
2.5 लाख रुपये तक
जीरो
2.50,001 रुपये से 5 लाख तक
5
5,00,001 रुपये से 7.5 लाख तक
10
7,50,001 रुपये से 10 लाख तक
15
10,00,001 रुपये से 12.5 लाख तक
20
12,50,001 रुपये से 15 लाख तक
25
15 लाख रुपये से ऊपर
30
*50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर सरचार्ज लगता है। इनकम टैक्स लायबिलिटी में 4 फीसदी हेल्थ और एजुकेशन टैक्स भी जोड़ा जाएगा। 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर सेक्शन 87ए के तहत 12,500 रुपये का रिबेट मिलेगा, जिससे टैक्स घटकर जीरो हो जाएगा।
यह ध्यान में रखें कि नए टैक्स सिस्टम में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सीसीडी (2) के तहत डिडिक्शन का दावा किया जा सकता है। यह डिडक्शन टियर-1 एनपीएस अकाउंट में इंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर मिलता है। कोई व्यक्ति अपनी बेसिक सैलरी का मैक्सिमम 10 फीसदी डिडक्शन का दावा कर सकता है।
इनकम टैक्स कैलकुलेट करने का तरीका समझने के लिए हम एक उदाहरण की मदद ले सकते हैं। मान लीजिए फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में आपकी टैक्सेबल इनकम 17 लाख रुपये है। इस दौरान आपके इंप्लॉयर ने आपके टियर-1 एनपीएस अकाउंट में 70,000 रुपये कंट्रिब्यूशन किया है। आप इसके लिए सेक्शन 80सीसीडी (2) के तहत डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।
इस तरह आपकी नेट टैक्सेबल इनकम 16.30 लाख (17 लाख माइनस 70,000 रुपये) हो जाएगी। अब आपको 16.30 लाख रुपये पर अपनी टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करना होगा।
16.30 लाख रुपये के नेट टैक्सेबल इनकम में से सबसे पहले 2.5 लाख रुपये पर टैक्स छूट मिलेगी। इसलिए हम 16.30 लाख रुपये में से 2.5 लाख रुपये घटा देते हैं। फिर हमारी टैक्सेबल इनकम घटकर 13.80 लाख रुपये रह जाती है।
ऊपर के टेबल से जाहिर है कि 2.5 लाख से ज्यादा से लेकर 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। इसलिए 13.80 लाख रुपये में से अगले 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। यहां टैक्स अमाउंट 12,500 रुपये (2,50,000 रुपये का 5 फीसदी) होगा।
अब हमें 11.30 लाख रुपये पर इनकम टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करना है। इसमें से अगले 2.5 लाख रुपये (7.5 लाख माइनस 5 लाख रुपये) पर टैक्स की दर 10 फीसदी होगी। फिर टैक्स अमाउंट 25,000 रुपये (2,50,000 रुपये का 10 फीसदी) होगा।
अब तक आपकी टैक्स लायबिलिटी 37,500 रुपये (0+12,500+25,000) होगी। ध्यान रखें कि पूरी इनकम पर टैक्स नहीं लग रहा है। अब हमें 8.8 लाख रुपये पर टैक्स कैलकुलेट करना है। 8.8 लाख रुपये में से 2.5 लाख रुपये (10 लाख माइनस 7.5 लाख) घटा दिए जाएंगे। फिर, इस पर 15 फीसदी रेट से टैक्स लगेगा। इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी 37,500 रुपये होगी। अब आपकी 6,30,000 रुपये की इनकम पर टैक्स कैलकुलेट करना बाकी है।
अगले 2.5 लाख रुपये (12.5 लाख माइनस 10 लाख) पर अब 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी 50,000 रुपये (2,50,000 का 20 फीसदी) होगी। अब आपकी 3,80,000 रुपये की इनकम पर टैक्स कैलकुलेट करना बाकी है। अगले 2.5 लाख रुपये की इनकम पर 25 फीसदी टैक्स लगेगा। इस तरह टैक्स अमाउंट 62,500 रुपये (2,50,000 रुपये का 25 फीसदी) होगा। अब आपकी 1,30,000 रुपये की इनकम पर टैक्स कैलकुलेट करना बाकी है।
इस बची हुई इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। इस तरह आपका टैक्स 39,000 रुपये बनेगा। इस तरह टैक्स लायबिलिटी को जोड़ने पर कुल आपका कुल टैक्स 2,26,500 रुपये (0+12,500+25,000+37,500+50,000+62,500+39,000) आता है। अब हेल्थ और एजुकेशन सेस 4 फीसदी है। इससे आपका सेस अमाउंट 9,060 रुपये होगा। अब हम 2,26,500 रुपये में 9,060 रुपये जोड़ देंगे तो कुल टैक्स आपका 2,35,560 रुपये होगा।
इनकम टैक्स स्लैब्स
टैक्स लायबिलिटी
0 से 2.5 लाख रुपये@जीरो
0
2.5 लाख से 5 रुपये @5%
12,500 रुपये
5 लाख से 7.5 लाख @ 10%
25,000 रुपये
7.5 लाख से 10 लाख रुपये @15%
37,500 रुपये
10 लाख से 12.5 लाख रुपये @20%
50,000 रुपये
12.5 लाख से 15 लाख रुपये@25%
62,500 रुपये
15 लाख रुपये से ऊपर @30%
39,000 रुपये
@4 सेसे के बगैर कुल टैक्स लायबिलिटी
2,26,500 रुपये
4% सेस जोड़ने पर
9,060 रुपये
टोटल टैक्स लायबिलिटी
2,35,560
हमने आपको नए सिस्टम में टैक्स लायबिलिटी के बारे में बताया है। आपको यह जानने के लिए कि पुराने सिस्टम और नए सिस्टम में कौन बेहतर है, पुराने सिस्टम में टैक्स लायबिलिटी को भी कैलकुलेट करना होगा। इसके बाद दोनों सिस्टम में जो फायदेमंद हो, आप उसे सेलेक्ट कर सकते हैं।