TCS Layoffs: नौकरी जाने पर कंपनी की तरफ से मिलने वाले कंपनसेशन पर कितना टैक्स लगता है?
कंपनियों के एंप्लॉयीज को नौकरी से हटाने और उन्हें कंपनसेशन देना नई बात नहीं है। लेकिन, ऐसे कंपनसेशन पर टैक्स के नियमों के पड़ने वाले असर को समझना एंप्लॉयीज के लिए जरूरी है। उन्हें इसे पूरी तरह से समझने के बाद ही कंपनी के कंपनसेशन पैकेज पर हस्ताक्षर करने चाहिए
एंप्लॉयीज को आर्थिक मुश्किल से बचाने के लिए कंपनियां सेवरेंस पैकेज ऑफर करती हैं।
टीसीएस के बड़ी संख्या में सीनियर एंप्लॉयीज को नौकरी से हटा देने की खबर से आईटी सेक्टर के एंप्लॉयीज को बड़ा झटका लगा। हालांकि, कंपनी ने एंप्लॉयीज की बची हुई नौकरी के पीरियड के हिसाब से कंपनसेशन दिया है। यह छह महीनों से लेकर 2 सााल के बीच है। कंपनियों के एंप्लॉयीज को नौकरी से हटाने और उन्हें कंपनसेशन देना नई बात नहीं है। लेकिन, ऐसे कंपनसेशन पर टैक्स के नियमों के पड़ने वाले असर को समझना एंप्लॉयीज के लिए जरूरी है। उन्हें इसे पूरी तरह से समझने के बाद ही कंपनी के कंपनसेशन पैकेज पर हस्ताक्षर करने चाहिए।
आर्थिक मुश्किल से बचाने के लिए कंपनियां देती हैं कंपनसेशन
टैक्सबडी डॉट कॉम के फाउंडर सुजीत बांगर ने कहा, "कई बार कंपनी बिजनेस के हित में एंप्लॉयीज की संख्या कम करने का फैसला लेती है। इसमें एंप्लॉयीज की कोई गलती नहीं होती।" एंप्लॉयीज को आर्थिक मुश्किल से बचाने के लिए कंपनियां सेवरेंस पैकेज ऑफर करती हैं। इसमें नोटिस पीरियड के दौरान पूरी सैलरी और नौकरी जाने से होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई शामिल होती है। लेकिन, टैक्स के असर के बाद इस सेवरेंस पैकेज की चमक कुछ फीकी पड़ जाती है।
एंप्लॉयमेंट के टर्मिनेशन से जुड़ा पेमेंट इनकम की कैटेगरी में
टैक्स के लिहाज से इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 17(3)(i) के तहत सेवरेंस पे को 'सैलरी के बदले प्रॉफिट' माना गया है। नांगिया एंड को एलएलपी के डायरेक्टर इतेश दोढ़ी ने कहा, "एंप्लॉयमेंट के टर्मिनेशन से जुड़े किसी पेमेंट को सैलरी से इनकम माना जाता है और इस पर उसके हिसाब से टैक्स लगता है। एंप्लॉयर्स को टीडीएस काटने के बाद इस तरह के पेआउट्स एंप्लॉयीज को देना होता है।" इसका मतलब है कि सेवरेंस पैकेज चाहे कितना भी बड़ा हो, टैक्स के लिहाज से इसे रेगुलर सैलरी की तरह माना जाता है। इस अन्य इनकम में जोड़ दिया जाता है फिर टैक्सपेयर के स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।
हर कंपोनेंट्स टैक्स के दायरे में नहीं आता है
हालांकि, हर कंपोनेंट्स पर टैक्स नहीं लगता है। दोढ़ी ने कहा, "सेक्शन 10(10C) एंप्लॉयीज को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) ऑफर करता है। इस राहत के उपाय के तहत ऐसा 5 लाख रुपये तक का पेमेंट टैक्स के दायरे से बाहर (exempt) हो सकता है। शर्त यह है कि स्कीम को इनकम टैक्स रूल्स, 1962 के रूल 2बीए की शर्तों का पालन करना चाहिए।" बांगर ने कहा कि कुछ हिस्सा टैक्स के दायरे से बाहर हो सकता है। लेकिन इसका टर्मिनेशन या रिलीविंग लेटर में जिक्र होना जरूरी है।
कुछ कंपोनेंट्स पर ऐसे मिलता है एग्जेम्प्शन
इसे एक उदाहरण की मदद से समझ जा सकता है। इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत 5 लाख रुपये तक के रिट्रेंचमेंट कंपनसेशन को एग्जेम्प्शन हासिल है। सेक्शन 10(10सी) के तहत 5 लाख रुपये तक के वीआरएस कंपनसेशन को एग्जेम्प्शन हासिल है। सेक्शन 10(10) के तहत ग्रेच्युटी को एग्जेम्प्शन हासिल है। सेक्शन 10(10एए) के तहत लीव इनकैशमेंट को एग्जेम्प्शन हासिल है।
डॉक्युमेंट्स में ब्रेकअप स्पष्ट होने पर ही एग्जेम्प्शन का लाभ
लेकिन, ये एग्जेम्प्शन तभी लागू होते हैं जब ब्रेक-अप स्पष्ट रूप से ऑफिशिल डॉक्युमेंट्स में दिया गया होता है। बांगर ने कहा, "सेवरेंस पैकेज का ब्रेकअप रिलीविंग या टर्मिनेशनल लेटर में स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए। अगर यह स्पष्ट रूप में लिखा हुआ नहीं है तो टैक्स डिपार्टमेंट बाद में स्क्रूटनी (जांच) के दौरान एंप्लॉयी से सवाल पूछ सकता है।"
टैक्स के बोझ को बीते सालों में स्प्रेड करने की इजाजत
अगर एंप्लॉयीज वीआरएस के तहत नहीं आता है तो उसे इनकम टैक्स रूल्स के रूल 21ए के साथ सेक्शन 89 (के साथ पढ़ने पर) के तहत सीमित राहत उपलब्ध है। यह प्रोविजन टैक्सपेयर्स को एकमुश्त पेमेंट पर टैक्स के बोझ को पिछले सालों में स्प्रेड करने की इजाजत देता है। इससे किसी एक साल में आने वाला टैक्स का बोझ कम हो जाता है।
कंपनी बंद होने पर सेवरेंस पेमेंट्स कैपिटल रिसीट्स माना जाता है
दोढ़ी ने कहा, "एंप्लॉयीज जिन्होंने कम से कम लगातार तीन साल नौकरी की है और जिनका तीन साल या ज्यादा साल के कॉनट्रैक्चुअल टर्म्स एक्सपायर नहीं हुए हैं वे बीते सालों में एकमुश्त पेमेंट के टैक्स के बोझ को स्प्रेड करने के लिए दावा कर सकते हैं। इससे अचानक बढ़ी हुई इनकम का असर कम हो जाता है। " उन्होंने कहा कि इसमें एक पेच है। सेक्शन 10(10C) के तहत मिलने वाले दोनों बेनेफिट्स और सेक्शन 89 के तहत मिलने वाला रिलीफ पारस्परिक एक्सक्लूसिव हैं। आप इनमें से सिर्फ एक क्लेम कर सकते हैं, दोनों नहीं क्लेम कर सकते। यह बहुत बारीक लेकिन बहुत महत्वपूर्ण प्रतिबंध है, जिसकी फाइन प्रिंट में अनदेखी हो जाती है। कुछ विरले मामलों में जब कंपनी पूरी तरह बंद हो जाती है तो सेवरेंस पेमेंट्स को कैपिटल रिसीट्स माना जाता है, जो टैक्सेबल नहीं है।