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IPO में पैसा लगाने से पहले सावधानी जरूरी, निवेश करने से पहले अपने-आप से पूछें ये तीन सवाल

साल 2004 से 2008 में गिरावट आने तक IPO में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। इसके बाद 2015 में फिर यह ट्रेंड देखने को मिला। अब पिछले साल से IPO का सिलसिला फिर से तेज हो गया है। ऐसे में IPO को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। आम तौर पर लोग गलत वजहों से भी IPO में निवेश करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि IPO निवेश में धोखा न खाएं, तो आप तीन साल पूछने की जरूरत है

अपडेटेड Sep 15, 2024 पर 4:44 PM
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निवेशकों के लिए इस मामले में भेड़चाल से बचने की जरूरत होती है।

साल 2004 से 2008 में गिरावट आने तक IPO में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। इसके बाद 2015 में फिर यह ट्रेंड देखने को मिला। अब पिछले साल से IPO का सिलसिला फिर से तेज हो गया है। ऐसे में IPO को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। आम तौर पर लोग गलत वजहों से भी IPO में निवेश करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि IPO निवेश में धोखा न खाएं, तो आपको खुद से तीन सवाल पूछने की जरूरत है।

आप IPO को क्यों सब्सक्राइब करना चाहते हैं?

अगर आप सिर्फ इस वजह से किसी कंपनी के IPO में निवेश करना चाहते हैं कि उसके प्रोडक्ट्स आपने इस्तेमाल किए हैं और वे बेहतर हैं। क्या यह सही वजह हो सकती है? सिर्फ इसलिए कि आप ब्रांड और उसके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, क्या उसकी ग्रोथ टिकाऊ होगी? कंज्यूमर होना, इनवेस्टर होने से बिल्कुल अलग है।

निवेशकों को इस मामले में भेड़चाल से बचने की जरूरत होती है, मसलन यह धारणा सही नहीं है कि अगर सब कोई इसमें निवेश कर रहा है, तो यह सही होगा। 1999-2000 के टेक्नोलॉजी बूम के दौर में डॉटकॉम कंपनियों में लोग अंधाधुंध तरीके से निवेश कर रहे थे। हालांकि, ऐसी कई कंपनियां डीलिस्ट या गायब हो गईं। इसी तरह, 2007-2008 के दौरान रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। उस वक्त रिलायंस पावर और HDIL में निवेशकों की काफी दिलचस्पी थी।


अब इसी तर्ज पर ये सवाल पूछे जा सकते हैं, ' क्या बजाज हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस की तरह मल्टीबैगर होगा? क्या ONGC ग्रीन एनर्जी, रिन्यूएबल एनर्जी स्पेस में बेहतर दांव होगा?'

आपका निवेश किन बातों पर आधारित है?

निवेशकों को अपने-आप से यह सवाल करना चाहिए कि संबंधित फर्म के बेसिक बिजनेस मॉडल, ग्रोथ संभावना, वित्तीय स्थिरता, कैश फ्लो, बैकग्राउंड आदि के बारे में क्या राय है। क्या आपका विश्लेषण इश्यू प्राइस को ओवरवैल्यूएशन या अंडरवैल्यूएशन वाला बताता है। कंपनी के फंडामेंटल्स के बारे में आपको क्या पता है? फंड जुटाने का मकसद क्या है- बिजनेस का विस्तार, कर्ज का भुगतान, अधिग्रहण या फिर अन्य?

दरअसल, कोई कंपनी पब्लिक को शेयर बेचेगी, तो उससे अधिकतम मूल्य हासिल करना चाहेगी। लिहाजा, ज्यादातर IPO बुल मार्केट के दौरान आते हैं, जब कीमतें काफी ऊंची होती हैं और निवेशक कोई भी कीमत देने को तैयार रहते हैं। लिहाजा, यह मानना ठीक नहीं है कि सभी IPOs सस्ती प्राइस पर ऑफर किए जाते हैं।

क्या आप सिर्फ बेचने के लिए खरीद रहे हैं?

अगर आप इस इरादे से IPO में पैसा लगाते हैं, तो आप ऐसा करने वाले अकेले नहीं है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) की हालिया स्टडी के मुताबिक, लिस्टिंग के दिन सबसे अहम सेलर्स नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स होते हैं, जो आम तौर पर IPO के दौरान 2 लाख रुपये से ज्यादा के लिए बिड करते हैं। चूंकि यह कैटेगरी अपनी बिड के लिए अक्सर बाहरी फंडिंग पर निर्भर रहती है, लिहाजा ऐसे ज्यादातर निवेशकों द्वारा लिस्टिंग डे के दिन ही अपने शेयरों की बिक्री करने की उम्मीद होती है। औसतन निवेशकों को आवंटित 54 पर्सेंट IPO शेयर लिस्टिंग के हफ्ते भर के अंदर बिक जाती है।

दरसअल, जितने IPO लिस्टिंग से पैसा बनाते हैं, उनके मुकाबले काफी ज्यादा IPO पैसा नहीं बनाते। अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो सही प्राइस का भुगतान कर उसे होल्ड करें। ऐसे में पैसा गंवाने की संभावना काफी कम होती है।

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