देश के छोटे शहर अब जॉब मार्केट में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, टियर 2 और टियर 3 शहरों जैसे जयपुर, लखनऊ, इंदौर, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, कोच्चि, सूरत, नागपुर और चंडीगढ़ में सितंबर 2025 के दौरान नौकरियों में साल-दर-साल 21% की तेज वृद्धि हुई है, जो बड़े और मैट्रो शहरों के 14% ग्रोथ से भी कहीं अधिक है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन छोटे शहरों में ई-कॉमर्स वेयरहाउसिंग, खुदरा विस्तार, ग्राहक सेवा केंद्रों और त्योहारी पर्यटन के कारण रोजगार में तेजी से इजाफा हुआ है। यह विकास न केवल त्योहारी मांग से प्रेरित है, बल्कि यह एक स्थिर और मजबूत नियुक्ति का संकेत भी देता है।
फाउंडिट की मार्केटिंग उपाध्यक्ष अनुपमा भीमराजका ने कहा कि भले ही महानगर लगातार ग्रोथ कर रहे हैं, लेकिन गैर-महानगर इलाकों ने रोजगार अवसरों में मुख्य भूमिका निभाई है। यह बदलाव विकेंद्रीकृत और विविध रोजगार परिदृश्य की ओर इशारा करता है, जो नौकरी चाहने वालों के लिए और भी मौके खोलता है।
मैट्रो शहरों जैसे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, और बैंगलोर में भी रोजगार में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह दर 14% तक सीमित रही। यहां आईटी, बैंकिंग, मीडिया, और मनोरंजन सेक्टर में नौकरी की मांग बनी रही, जबकि टेक्नोलॉजी, वित्त और मार्केटिंग पेशेवरों की जरूरत भी मजबूत रही।
सेल्स और मार्केटिंग सेक्टर में त्योहारी सीजन के दौरान 5% साल-दर-साल वृद्धि दर्ज हुई है, उसके बाद ग्राहक सेवा और संचालन में 4% की वृद्धि हुई। क्रिएटिव और मीडिया क्षेत्र में भी 4% की बढ़ोतरी हुई, जबकि टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट भूमिकाओं में स्थिरता रही। इसके अलावा, फाइनेंस और अकाउंटिंग सेक्टर में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि भारत के छोटे और मध्यम शहर तेजी से रोजगार के नए केंद्र बन रहे हैं, जो देश के आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों के लिए नई उम्मीद जगाते हैं।