स्टॉक मार्केट में आई गिरावट ने निवेशकों को डराया है। हालांकि, लगातार छह सेशन में गिरने के बाद 27 अक्टूबर को मार्केट में रौनक लौट आई। लेकिन, Nifty पिछले महीने 20,200 के अपने ऑल-टाइम हाई से करीब 1150 प्वाइंट्स अंक गिर चुका है। निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह चल रहा है कि क्या मार्केट में यह गिरावट जारी रहेगी? इस सवाल का सही जवाब देना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। फिर भी, मनीकंट्रोल ने इनवेस्टर्स की मुश्किल आसान करने के लिए इंडिया के टॉप फंड मैनेजर्स से बात की। हमारा मकसद यह जानना था कि इनवेस्टर्स को स्टॉक्स मार्केट और इनवेस्टमेंट को लेकर किस तरह का एप्रोच रखना चाहिए। हमने खासकर नए रिटेल इनवेस्टर्स को ध्यान में रख टॉप फंड मैनेजर्स से बातचीत की। अक्सर नए रिटेल इनवेस्टर्स मार्केट में आई गिरावट से घबरा जाते हैं। कई बार तो डर कर अपने स्टॉक्स कम प्राइसेज पर बेचकर हमेशा के लिए स्टॉक मार्केट से नाता तोड़ लेते हैं।
मुश्किल वक्त में भी इंडिया का प्रदर्शन बेहतर
टॉप फंड मैनेजर्स का कहना है कि सबसे पहले तो इनवेस्टर्स को इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ स्टोरी में भरोसा रखना होगा। इस साल मार्च से सितंबर के दौरान स्टॉक मार्केट में शानदार तेजी देखने को मिली। खासकर स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स की तेजी ने लोगों को हैरान कर दिया। यह भी ऐसे माहौल में जब ग्लोबल इकोनॉमी कई तरह की मुश्किल में दिखी। अमेरिका में बढ़ता इंटरेस्ट रेट, क्रूड ऑयल की ऊची कीमतों और तमाम कोशिशों के बावजूद इनफ्लेश के कंट्रोल में नहीं आने को बड़े रिस्क के रूप में देखा गया।
इंडिया के फंडामेंटल्स मजबूत
Mirae Asset Investment Managers (India) के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर (CIO) नीलेश सुराणा ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी जहां मुश्किल में है वही इंडिया में चीजें बेहतर दिख रही हैं। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अच्छी है और कंपनियों के प्रॉफिट में अच्छा इजाफा देखने को मिला है। हाउसिंग सेक्टर में निवेश फिर से शुरू हो गया है। बैंकों की बैलेंसशीट मजबूत दिख रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गतिविधियां बढ़ी हैं। यहां तक कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
गिरावट के बाद आएगी रिकवरी
एक प्रमुख म्यूचुअल फंड हाउस के सीआईओ ने बताया कि अमेरिका में बॉन्ड यील्ड 16 साल के हाई लेवल पर पहुंच जाने के बाद ग्लोबल इनवेस्टर्स उभरते बाजारों में निवेश को लेकर सावधानी बरतने लगे हैं। इंटरेस्ट रेट्स के लंबे समय तक हाई बने रहने की उम्मीद है। ग्लोबल इकोनॉमी में फिस्कल डेफिसिट बढ़ा है, जिससे इकोनॉमिक स्लोडाउन देखने को मिल सकता है। इन वजहों से मार्केट गिर रहा है। लेकिन, यह थोड़े समय की बात है। इसके बाद मार्केट में रिकवरी आनी तय है।
मार्केट में हिस्टोरिकल वैल्यूएशन पर ट्रेडिंग
Kotak Asset Management के ग्रुप प्रेसिडेंट और एमडी नीलेश शाह के मुताबिक, इनवेस्टर्स को इंडियन ग्रोथ स्टोरी में भरोसा बनाए रखना चाहिए। स्टॉक मार्केट में गिरावट दिखी है, लेकिन इंडिया की ग्रोथ जारी है। उन्होंने कहा कि किसी मार्केट में तेजी के लिए तीन चीजें जरूरी होती हैं। पहला, फंड फ्लो, दूसरा सेंटिमेंट और अंत में फंडामेंटल्स। फंड फ्लो और सेंटिमेंट में बदलाव होता रहता है। लेकिन, फंडामेंटल्स के बनने और बिगड़ने में लंबा समय लगता है। अगर कंपनियों की अर्निंग स्टोरी को देखा जाए तो इस तिमाही में इसमें 15-18 फीसदी ग्रोथ दिख सकती है। अभी माइक्रो-कैप्स, मिनीकैप्स और एसएमई स्टॉक्स में गिरावट दिख रही है, लेकिन ब्रॉडर मार्केट में अब भी हिस्टोरिकल वैल्यूएशन पर ट्रेड हो रहा है।
मुश्किल वक्त लंबे समय तक जारी नहीं रहेगा
Nippon India Mutual Fund के सीआईओ (इक्विटी) शैलेश राज भान ने कहा कि मुश्किल समय और दो-तीन महीने जारी रह सकता है। उन्होंने कहा कि प्राइस करेक्शन लंबे समय तक जारी रहने की उम्मीद नहीं दिख रही। इसलिए इनवेस्टर्स को एकमुश्त निवेश करने की जगह धीरे-धीरे मार्केट में पैसे लगाने चाहिए। ऐसा करना लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। दूसरे एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि गिरावट के मौके का इस्तेमाल निवेशकों को क्वालिटी स्टॉक्स में निवेस बढ़ाने के लिए करना चाहिए।
निवेश जारी रखने पर लंबी अवधि में शानदार मुनाफा
पिछले तीन साल में इंडियन मार्केट्स के हर गिरावट से जल्द उबरने की वजह SIP से होने वाला निवेश रहा है। पिछले महीने SIP से होने वाला निवेश पहली बार 16,000 करोड़ रुपये को पार कर गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को एसआईपी के जरिए शेयरों में निवेश जारी रखना चाहिए। अगर सालाना 12 फीसदी रिटर्न का अनुमान लगाया जाए तो लंबी अवधि में निवेशकों को अच्छा मुनाफा मिलेगा। उन्हें कंपाउंडिंग का फायदा मिलेगा, जिससे लंबी अवधि में अच्छा वेल्थ क्रिएट होगा। इसके अलावा इनवेस्टर्स को अच्छी कंपनियों के स्टॉक्स में लंबी अवधि के लिहाज से निवेश करना चाहिए। लार्जकैप स्टॉक्स की कीमतों में गिरावट आई है। इससे उनकी कीमतें अट्रेक्टिव हो गई हैं। उनमें निवेश करने पर लंबी अवधि में अच्छा पैसा बन सकता है।