दो दिन पहले पेश यूनियन बजट में रेंटल इनकम के बारे में अहम ऐलान हुआ है। इसमें कहा गया है कि रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को होने वाली रेंटल इनकम अब 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत आएगी। इसका मतलब है कि रेंटल इनकम अब बिजनेस और प्रोफेशन से हुई इनकम नहीं मानी जाएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में बताया कि इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव है।
अभी क्या करते हैं टैक्सपेयर्स?
अभी टैक्सपेयर्स 'प्रॉफिट एंड गेंस ऑफ बिजनेस या प्रोफेशन' के तहत बिजनेस से जुड़ी कई तरह के खर्चों को डिडक्ट करते हैं, जिससे उनकी टैक्सेबल इनकम घट जाती है। इस प्रावधान के तहत प्रॉपर्टी के मालिक रेंटल इनकम को बतौर बिजनेस इनकम दिखाते हैं। फिर, मेंटेनेंस कॉस्ट, मरम्मत और यहां तक कि डेप्रिसिएशन पर डिडक्शन क्लेम करते हैं। इससे उनकी टैक्सेबल इनकम घट जाती है। इससे उनका टैक्स भी कम हो जाता है।
सरकार क्यों बदल रही है नियम?
उदाहरण के लिए अगर एक टैक्सपेयर रेंटल इनकम यानी किराए से हुई इनकम को बतौर बिजनेस इनकम दिखाता है तो वह उस इनकम से उन खर्चों को घटा सकता है, जो प्रॉपर्टी की मेंटेनेंस आदि पर खर्च होता है। इससे उसकी टैक्सेबल इनकम काफी घट जाती है। अगर घर के किराए से हुई इनकम को 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत दिखाया जाता है तो डिडक्शन सीमित हो जाता है। इस कैटेगरी के तहत मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए रेंटल इनकम पर 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन की इजाजत है। दूसरे किसी खर्च के लिए किसी अलाउन्स की इजाजत नहीं है।
अगले साल 1 अप्रैल से लागू होगा नया नियम
वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा था, "प्रस्ताव है कि घर या घर के हिस्से को किराए पर देने से मकानमालिक होने वाली इनकम 'प्रॉफिट एंड गेंस ऑफ बिजनेस या प्रोफेशन' के तहत नहीं आएगी। यह टैक्स के लिहाज से सिर्फ 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत आएगी।" यह संशोधन 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। इससे यह एसेसमेंट ईयर 2025-26 से लागू होगा।
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सेक्शन 28 में होगा संशोधन
सरकार इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 28 में संसोधन करेगी। इसमें इस बात का उल्लेख होगा कि किराए पर दिए घर से होने वाली इनकम सिर्फ 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' के तहत आएगी। इसके बाद टैक्सपेयर्स अपनी टैक्स लायबिलिटी घटाने के लिए रेंटल इनकम को बिजनेस इनकम के तहत नहीं दिखा सकेंगे।