Updated ITR Filing: फाइनेंशियल ईयर 2020-21 का अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन नजदीक आ गई है। यह काम 31 मार्च, 2024 तक पूरा करना होगा। यह प्रोविजन 2022 के फाइनेंस एक्ट में शामिल किया गया था। यह किसी वजह से ऊपर बताए गए फाइनेंशियल ईयर का रिटर्न नहीं भर पाने या किसी इनकम के बारे में बताने के लिए टैक्सपेयर्स को अपडेटेट ITR फाइल करने की इजाजत देता है। यह प्रोविजन टैक्सपेयर्स को संबंधित एसेसमेंट ईयर खत्म होने के 24 महीनों के अंदर अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की इजाजत देता है।
टैक्सपेयर्स जो वित्त वर्ष 2020-21 का आईटीआर फाइल नहीं कर सके हैं वे 31 मार्च, 2024 तक कर सकते हैं। फाइनेंशियल ईयर और एसेसमेंट ईयर के फर्क को समझ लेना जरूरी है। हर वित्त वर्ष का रिटर्न हम अगले वित्त वर्ष में फाइल करते हैं। जिस वित्त वर्ष में हम रिटर्न फाइल करते हैं उसे पिछले वित्त वर्ष का एसेसमेंट ईयर कहा जाता है।
किस फॉर्म का करना होगा इस्तेमाल?
अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को संबंधित एसेसमेंट ईयर में नोटिफाय किया गया आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा। साथ ही हाल में लॉन्च किया गया आईटीआर-यू का इस्तेमाल करना होगा। अपडेटेड रिटर्न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फाइल किया जा सकता है।
क्या जानकारियां देनी होगी?
टैक्सपेयर्स को अपडेटेड रिटर्न फॉर्म में सभी जानकारियां देनी होंगी। इनमें बेसिक इंफॉर्मेशन, पहले फाइल किए गए रिटर्न की डिटेल, अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की वजह और अलग-अलग हेड के हिसाब से अतिरिक्त इनकम की जानकारी शामिल हैं।
अपडेटेड आईटीआर फाइलिंग की जरूरत क्यों?
अगर टैक्सपेयर्स को पहले फाइल किए गए रिटर्न में किसी गलती या कोई जानकारी छूट जाने का पता चलता है तो वह गलती को ठीक करने के लिए अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है। अगर ओरिजनल रिटर्न फाइल करने के बाद टैक्सपेयर्स को इनवेस्टमेंट या फ्रीलांस से अतिरिक्त इनकम होती है तो वह अतिरिक्त रिटर्न फाइल कर इस इनकम की जानकारी दे सकता है।
अपडेटेड आईटीआर फाइलिंग के क्या फायदे हैं?
अपडेटेड रिटर्न फाइल कर टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स कानून के नॉन-कंप्लायंस की पेनाल्टी से बच सकता है। ऑरिजिनल रिटर्न की गलतियां ठीक कर टैक्सपेयर्स टैक्स नियमों के पालन को लेकर अपनी निष्ठा का परिचय दे सकता है।
इन स्थितियों में अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की इजाजत नहीं है:
-टैक्सपेयर्स को किसी तरह की लॉस की स्थिति में अपडेटेड रिटर्न फाइल नहीं किया जा सकता।
-अगर अपडेटेड रिटर्न फाइल करने से टैक्सपेयर्स की टैक्स लायबिलिटी घट जाती है तो वह अपडेटेट रिटर्न फाइल नहीं कर सकता।
-अगर अपडेटेड रिटर्न फाइल करने से टैक्सपेयर्स का रिफंड अमाउंट ऑरिजिनल रिटर्न के मुकाबले बढ़ जाता है तो अपडेटेड रिटर्न की इजाजत नहीं है
-अगर टैक्सपेयर्स के खिलाफ किसी तरह का सर्च, सर्वे या सिजर की कार्यवाही शुरू की गई है तो इसके खत्म होने तक उसे अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की इजाजत नहीं है।
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