UPI Charges: फ्री यूपीआई पेमेंट की उल्टी गिनती शुरू! RBI के गवर्नर ने दिए ये संकेत

UPI Charges: किसी लेन-देन के लिए अभी यूपीआई के जरिए पेमेंट पर आपसे कोई चार्ज नहीं लिया जाता है लेकिन केंद्रीय बैंक RBI ने जैसे संकेत दिए हैं, उसके मुताबिक आने वाले समय में इस पर भी चार्ज लग सकता है। यह संकेत खुद आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दिए हैं। जानिए उन्होंन ऐसा क्यों कहा और दरों में कटौती को लेकर उनका क्या कहना है?

अपडेटेड Jul 26, 2025 पर 7:43 AM
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UPI Charges: आरबीआई गवनर्वर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि यूपीआई के जरिए पेमेंट पर हमेशा फ्री नहीं रहने वाला है।

UPI Charges: आरबीआई गवनर्वर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि यूपीआई के जरिए पेमेंट पर हमेशा फ्री नहीं रहने वाला है। एक मीडिया इवेट में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अभी यूपीआई सिस्टम बिना किसी चार्जेज के काम करता है यानी कि इसके लिए यूजर्स को कोई चार्जेज नहीं देना पड़ता है। हालांकि सरकार इसके लिए बैंकों और अन्य हिस्सेदारों को सब्सिडी देती है ताकि यूपीआई सिस्टम आसानी से रियल टाइम पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर चला सके। उन्होंने कहा कि डिजिटल पेमेंट्स को सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के स्थिरता की अनदेखी नहीं की जा सकती है तो ऐसे में जाहिर तौर पर किसी को तो खर्च चुकाना पड़ेगा।

तेजी से बढ़ रहा UPI के जरिए पेमेंट

आरबीआई गवर्नर ने ऐसे समय में यूपीआई से जुड़े खर्च को लेकर जिक्र किया है, जब यह धमाकेदार स्पीड से आगे बढ़ रहा है। महज दो साल में हर दिन यूपीआई से होने वाला ट्रांजैक्शन लगभग दोगुना होकर 31 करोड़ से 60 करोड़ के पार पहुंच गया। इसी तेज ग्रोथ ने बैकेंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बनाया जिसका अधिकतर काम बैंक, पेमेंट सर्विसे प्रोवाइडर्स और नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) मेंटेन करता है। यूपीआई के जरिए लेन-देन पर सरकार को कोई रेवेन्यू नहीं मिलता है क्योंकि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शून्य है। इस वजह से इंडस्ट्री प्लेयर्स का मानना है कि वित्तीय तौर पर यह मॉडल अधिक समय तक चल नहीं पाएगा।


दरों में कटौती को लेकर भी किया जिक्र

यूपीआई पेमेंट पर चार्जेज की संभावना के साथ ही आरबीआई गवर्नर ने दरों में कटौती को लेकर भी जिक्र किया कि यह संभव है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीतियां आने वाले समय के हिसाब से तय होती हैं तो ऐसे में महंगाई के मौजूदा आंकड़े कम अहम हैं बल्कि अगले 6 से 12 महीने में कैसी स्थिति रहने वाली है, यह अधिक अहम है। अभी महंगाई दर 2.1% है। उनका कहना है कि महज दो महीने में रेपो रेट में 50 बीपीएस की कटौती पूरी तरह ने नए लोन में बदल गई और क्रेडिट ग्रोथ भले ही पिछले साल की तुलना में सुस्त है लेकिन 10 साल के औसत से अधिक बनी हुई है। डिजिटल करेंसी को लेकर उन्होंने कहा कि आरबीआई इसे लेकर अभी भी सतर्क ही है। आरबीआई के प्रतिनिधियों की एक कमेटी इसके असर को लेकर परीक्षण कर रही है।

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First Published: Jul 26, 2025 7:27 AM

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