पिछले कुछ सालों में अमेरिकी बॉन्ड्स में इंडियन इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। अभी इंडियन मार्केट में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 5 स्कीमें हैं, जो अमेरिकी बॉन्डस में इनवेस्ट करती हैं। लेकिन, ये स्कीमें इनवेस्टर्स से नए इनवेस्टमेंट नहीं ले रही हैं। इसकी वजह विदेश में निवेश के लिए आरबीआई और सेबी की लिमिट है। अमेरिका में बॉन्ड्स की यील्ड में अचानक इजाफा ने म्यूचुअल फंड्स की इन स्कीमों को सुर्खियों में ला दिया है। बीते हफ्ते मूडीज के अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटा देने के बाद अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में तेज उछाल देखने को मिला है।
30 साल के बॉन्ड की यील्ड 5 फीसदी के पार
21 मई को अमेरिका में 30 साल के Bonds की Yields 5.089 फीसदी पर पहुंच गई। यह अक्टूबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। 10 साल के बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.59 फीसदी हो गई। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से नए इनवेस्टर्स को फायदा होता है, जबकि पुराने इनवेस्टर्स को लॉस होता है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि बॉन्ड्स की कीमत और उसकी यील्ड के बीच विपरीत संबंध होता है। इसका मतलब यह है कि जब बॉन्ड्स की कीमत बढ़ती है तो उसकी यील्ड घटती है। जब बॉन्ड्स की कीमत घटती है तो उसकी यील्ड बढ़ती है।
मूडीज ने 16 मई को घटाई अमेरिकी की रेटिंग
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 16 मई को अमेरिका की रेटिंग AAA से घटाकर AA1 कर दी। इसकी वजह अमेरिकी सरकार पर कर्ज के बढ़ते बोझ को बताया गया। दूसरी रेटिंग एजेंसियों ने भी अमेरिकी की टॉप रेटिंग घटाई हैं। Fitch ने ऐसा 2023 में किया था, जबकि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 2011 में किया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूएस क्रेडिट रेटिंग का घटने को एक प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। इसका व्यावहारिक रूप से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
म्यूचुअल फंडों के एनएवी पर शॉर्ट टर्म में उतारचढ़ाव
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड्स में इनवेस्ट करने वाले इंडियन म्यूचुअल फंडों के रिटर्न में मार्क-टू-मार्केट आधार पर उतारचढ़ाव दिख सकता है। INDmoney में वाइस प्रेसिडेंट मयंक मिश्रा ने कहा कि अमेरिका की रेटिंग घटने से बॉन्ड्स की कीमतों में शॉर्ट टर्म में उतारचढ़ाव देखने को मिलेगा। इसका असर यूएस बॉन्ड में निवेश करने वाली इंडियन म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों के एनएवी पर पड़ेगा। लेकिन, मध्यम से लंबी अवधि में ये स्कीमें स्थिर रिटर्न देने की स्थिति में दिखती हैं।
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अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंडों के फायदें
आदित्य बिड़ला सनलाइफ एएमसी के कौस्तुभ गुप्ता ने कहा, "अमेरिकी बॉन्ड्स ग्लोबल शॉक की स्थिति में न सिर्फ डायवर्सिफिकेशन देते हैं बल्कि घरेलू स्टॉक मार्केट्स में तेज गिरावट की स्थिति में निवेशकों के पैसे को डूबने से बचाने में मदद करते हैं। वे डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के असर भी निवेशकों को बचाते हैं।" ये स्कीमें खासकर उन इनवेस्टर्स के लिए फायदेमंद हैं, जिनके ऊपर डॉलर में लायबिलिटीज चुकाने की जिम्मेदारी है। जैसे विदेश में पढ़ाई करने वाले इंडियन स्टूडेंट्स और विदेश जाने वाले इंडियंस के लिए एक तरह से हेजिंग में मदद करते हैं।