Vrishchik Sankranti 2025: आज वृश्चिक संक्रांति पर करें जीवन बदलने वाले उपाय, जानें पुण्य काल और महापुण्य काल का समय

Vrishchik Sankranti 2025: सूर्य देव आज जब वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, तब वृश्चिक संक्रांति होगी। इस दिन स्नान दान का बहुत पुण्य होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रह दोष मिटते हैं और जीवन से बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानें इस दिन महापुण्य काल और पुण्य काल कब होगा

अपडेटेड Nov 16, 2025 पर 7:00 AM
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वृश्चिक संक्रांति के दिन महा पुण्य काल की कुल अवधि 1 घंटा 47 मिनट है।

Vrishchik Sankranti 2025: भगवान सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तब संक्रांति होती है। आज रविवार के दिन वो तुला राशि से निकलकर मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। इस राशि में सूर्य देव 15 दिसंबर तक विराजमान रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव धनु राशि में गोचर करेंगे। संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का बहुत महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से ग्रह दोष से छुटकारा मिलता है और जीवन से संकट टल जाते हैं। आइए जानें आज होने वाले संक्रांति के दिन जीवन में खुशहाली के लिए क्या उपाय कर सकते हैं। साथ ही इस दिन महापुण्य काल और पुण्य काल कब होगा।

वृश्चिक संक्रांति का महा पुण्य काल

वृश्चिक संक्रांति के दिन महा पुण्य काल की कुल अवधि 1 घंटा 47 मिनट है। महा पुण्य काल सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक है।

पुण्य काल का समय

इस दिन पुण्य काल का प्रारंभ सुबह 8 बजकर 2 मिनट से प्रारंभ होगा और इसका समापन दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा। पुण्य काल 05 घंटे 43 मिनट का है।

आज बन रहे तीन शुभ संयोग


वृश्चिक संक्रांति के दिन इस साल 3 शुभ योग बन रहे हैं। प्रीति योग सुबह 6 बजकर 47 मिनट से है, जो पूरे दिन रहेगा। अमृत सिद्धि योग सुबह में 06 बजकर 45 मिनट से मध्य रात्रि 02:11 तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग भी सुबह 06:45 बजे से लेकर 17 नवंबर को 02:11 बजे तक है।

स्नान-दान समय

वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर स्नान और दान महा पुण्य काल में करना चाहिए। अगर संभव न हो तो पुण्य काल का उपयोग करें। इस दिन स्नान और दान के समय तीनों शुभ योग बने रहेंगे।

वृश्चिक संक्रांति की रात करें ये उपाय

  • वृश्चिक संक्रांति के दिन रात को सूर्यास्त के बाद अपने घर के पूजा स्थान पर या तुलसी के पौधे के पास, पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • घर में धन-धान्य बढ़ाने के लिए इस दिन रात में स्नान करें और लाल कपड़े पहनें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति के सामने घर में बैठकर श्री सूक्त का पाठ करें। तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें और अगले दिन पूरे घर में उसका छिड़काव करें।
  • वृश्चिक संक्रांति पर शाम को पीपल के पेड़ को जल अर्पित कर उसकी सात परिक्रमा करनी चाहिए। इस उपाय को करने से जीवन की सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं।

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