अमेरिका में दो बैंकों के डूबने (US Banking Crisis) की खबर ने डिपॉजिटर्स को चिंता में डाल दिया है। इंडिया में भी बैंकों में पैसे रखने वाले वाले लोग उसकी सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद हैं। आम लोगों को फाइनेंशियल वर्ल्ड में चल रही गतिविधियों की ज्यादा जानकारी नहीं होती। अचानक जब बैंक के डूबने की खबर आती है तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक जाती है। वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। एक-एक पाई जोड़कर अपनी बेटी की शादी, बच्चों की पढ़ाई या रिटायरमेंट बाद के खर्च का इंतजाम करने वाले लोगों को कुछ समझ में नहीं आता। बताया जा रहा है कि अमेरिका में Silicon Valley Bank में ज्यादातर डिपॉजिटर्स के पैसे का इंश्योरेंस नहीं था।
अमेरिकी रेगुलेटर्स और सरकार ने डिपॉजिटर्स को भरोसा दिलाया है कि उनके पैसे नहीं डूबेंगे। लेकिन, उन्हें अपने पैसे कब मिलेंगे, क्या उन्हें अपने पूरे पैसे वापस मिल जाएंगे? इन सवालों के जवाब देने वाला कोई नहीं है। सवाल है कि अगर इंडिया में कोई बैंक डूबता है तो डिपॉजिटर्स के पैसे का क्या होगा?
यह भी पढ़ें : बुजर्गों की देखभाल से इनकार नहीं कर सकते बच्चे, इस कानून के बारे में यहां जानिए सबकुछ
2021 में सरकार ने कानून में संशोधन किया था
कुछ साल पहले बैंक डिपॉजिटर्स के हित में इंडियन गवर्नमेंट ने एक बड़ा फैसला लिया था। इसमें बैंकों में जमा लोगों के पैसे के इंश्योरेंस कवर की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई थी। पहले यह लिमिट 1 लाख रुपये थी। दरअसल, इंडिया में Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) बैंकों में जमा लोगों के पैसे को इंश्योरेंस कवर देती है। इसका मतलब है कि अगर कोई बैंक डूब जाता है तो डिपॉजिटर्स के 5 लाख रुपये तक के अमाउंट को यह कंपनी उसे वापस करती है। इसमें सेविंग्स अकाउंट, करेंट अकाउंट, रेकरिंग अकाउंट सहित हर तरह के डिपॉजिट आते हैं।
अगर एक बैंक में किसी व्यक्ति के कई अकाउंट हैं, या अलग-अलग तरह के अकाउंट हैं तो भी बैंक डूबने की स्थिति में उसे DICGC से मिलने वाला मुआवाज 5 लाख रुपये तक सीमित होगा। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का बैंक में सेविंग्स अकाउंट में 3 लाख रुपये हैं। उसने उसी बैंक में 3 लाख रुपये का FD भी कराया है तो भी बैंक डूबने की स्थिति में उसे 5 लाख रुपये का ही मुआवजा मिलेगा। दूसरा यह कि अगर किसी व्यक्ति का बैंक में 1 लाख रुपये का डिपॉजिट है तो बैंक डूबने की स्थिति में उसे एक लाख रुपये का ही मुआवजा मिलेगा न कि पांच लाख रुपये मिलेंगे।
98 फीसदी डिपॉजिटर्स का पैसा सुरक्षित
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में बैंकों में डिपॉजिट के इंश्योरेंस कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का ऐलान किया था। सरकार ने 27 साल बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस से जुड़े कानून में संशोधन किया था। इस कानून में यह भी कहा गया है कि RBI के बैंक पर मोरेटोरियम लगाने के 90 दिन के अंदर डिपॉजिटर्स को पैसे वापस मिल जाएंगे। कानून में इस बदलाव की वजह से अब इंडिया में बैंकों के 98 फीसदी डिपॉजिटर्स के पैसे को इंश्योरेंस की सुरक्षा हासिल है।