SIP Closure: सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को लंबी अवधि में पैसा बनाने के सबसे कारगर तरीकों में गिना जाता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग निवेश भी करते हैं। लेकिन, मार्च 2025 में पहली बार ऐसा हुआ है कि SIP खातों में नेट क्लोजर दर्ज किया गया है। ब्रोकरेज फर्म Elara Capital की रिपोर्ट के मुताबिक, यह गिरावट 2022 के बाद पहली बार देखी गई है।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की संस्था- एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि मार्च में करीब 51 लाख SIP बंद किए गए। इससे SIP स्टॉपेज रेश्यो बढ़कर 127.5% तक पहुंच गया है।
क्यों बंद हो रहे हैं SIP?
एक्सपर्ट का मानना है कि SIP बंद होने की कई वजहें हो सकती हैं। इसमें शेयर बाजार की मौजूदा अस्थिरता एक बड़ा कारण है। साथ ही, COVID के बाद के इन्वेस्टमेंट बूम में शुरू हुए कई SIP भी मैच्योर होने के बाद बंद हुए हैं।
Bonanza Group के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट राजेश सिन्हा के मुताबिक, “बाजार में जब गिरावट आती है तो SIP के जरिए निवेशक कम कीमत पर ज्यादा यूनिट खरीद पाते हैं। इससे रिकवरी के समय बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।”
The Wealth Company के प्रसन्ना पाठक भी इससे सहमत हैं। वह कहते हैं, “जब बाजार नीचे होता है, तो SIP की असली ताकत सामने आती है- रुपया लागत औसत (rupee cost averaging)। निवेशकों को गिरते बाजार में भी SIP जारी रखना चाहिए क्योंकि इससे कंपाउंडिंग और अनुशासित निवेश जैसी अहम बातें बनी रहती हैं।”
Fynocrat Technologies के गौरव गोयल SIP रोकने को 'जंग के बीच ढाल छोड़ने' जैसा बताते हैं। वे कहते हैं, 'डिसिप्लिन और धैर्य ही लंबे समय में संपत्ति बनाते हैं।'
बाजार में हालिया उतार-चढ़ाव का असर निवेशकों के सेंटिमेंट पर जरूर पड़ा है। हालांकि, एक्सपर्ट का माना है कि भारत की आर्थिक नींव अब भी मजबूत है। इसका शेयर बाजार को फायदा मिलेगा।
Money Mantra के फाउंडर वायरल भट्ट के अनुसार, “भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश, बढ़ती खपत और संरचनात्मक सुधारों के चलते इक्विटी अब भी आकर्षक विकल्प है- खासतौर पर जब वैल्यूएशन सस्ता हो।”
SIP वेल्थ बनाने का बेहतर जरिया
पिछले दो साल में SIP में रिकॉर्ड निवेश देखने को मिला था। दिसंबर 2024 में SIP का मासिक योगदान ₹19,000 करोड़ तक पहुंच गया था। लेकिन अब जो SIP बंद हो रहे हैं, उनमें बड़ी संख्या उन योजनाओं की भी है जो COVID पीरियड के बाद शुरू होकर पांच साल की अवधि पूरी कर चुकी हैं।
एक्सपर्ट का मानना है कि छोटी अवधि की गिरावट को देखकर SIP रोकना, बड़े मौके गंवाने जैसा है। गिरावट में SIP जारी रखने का फायदा लंबी अवधि में मिलता है।