आजकल हेल्थ इंश्योरेंस लेना आवश्यक हो गया है, लेकिन सामान्य पॉलिसी हर बीमारी को कवर नहीं करती। खासतौर पर गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर आदि के इलाज पर भारी खर्च आता है, जिसे सामान्य पॉलिसी में नहीं कवर किया जाता। इसलिए, क्रिटिकल इलनेस कवरेज एक महत्वपूर्ण ऐड-ऑन होता है, जो इन गंभीर बीमारियों के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट देता है।
क्रिटिकल इलनेस कवर क्या है?
क्रिटिकल इलनेस कवर एक तरह का डिफाइंड बेनिफिट प्लान है, जिसमें बीमार होने पर आपको एकमुश्त राशि मिलती है। यह राशि इलाज, दवाइयों, घर के खर्च और अन्य आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल होती है। इस कवर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आपको हॉस्पिटल बिल दिखाने की जरूरत नहीं होती, बस निदान रिपोर्ट देकर क्लेम किया जा सकता है।
आम तौर पर क्रिटिकल इलनेस प्लान में कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर, लकवा, अंग प्रत्यारोपण जैसे 10 से 20 गंभीर बीमारियां शामिल रहती हैं। ये बीमारियां इलाज के दौरान भारी खर्च और लंबे समय की मांग करती हैं, जिसके लिए क्रिटिकल इलनेस कवर जरूरी होता है।
क्यों जरूरी है क्रिटिकल इलनेस कवर
भारत में मेडिकल खर्चे बहुत बढ़ चुके हैं। बिना उचित कवर के लोग अपनी सारी बचत इलाज में खर्च कर देते हैं। ऐसे में यह कवर आपको वित्तीय संकट से बचाता है। खासतौर पर यदि आप 40 वर्ष से ऊपर हैं या परिवार में किसी को गंभीर बीमारी का इतिहास है, तो यह ज़रूरी हो जाता है।
- सुनिश्चित करें कि पॉलिसी में कम से कम 10 से 15 गंभीर बीमारियां शामिल हों।
- वेटिंग पीरियड पर ध्यान दें, आमतौर पर 90 दिन होता है।
- फैमिली फ्लोटर प्लान लेना बेहतर होता है, जिससे पूरे परिवार को कवर मिल सके।
- सेक्शन 80डी के तहत टैक्स बेनिफिट्स भी देखें।
क्रिटिकल इलनेस कवर आपके और आपके परिवार के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच है, जो गंभीर बीमारियों के समय आपकी मदद करता है। सही कवरेज के बिना हेल्थ इंश्योरेंस योजना अधूरी होती है, इसलिए पॉलिसी लेते समय इसे जरूर शामिल करें।