दिग्गज स्टॉक ब्रोकिंग फर्म Zerodha के को-फाउंडर और CEO नितिन कामत ने साफ किया है कि कंपनी अपनी लेंडिंग सर्विस को जानबूझकर सीमित रखती है। इसी के चलते वह अनसिक्योर्ड प्रोडक्ट में नहीं उतरती। जैसे कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड। कामत के मुताबिक, यह फैसला कंपनी की लागत, जोखिम प्रबंधन और ब्रांड फिलॉसफी- तीनों से जुड़ा है।
कामत कहते हैं कि Zerodha की फंडिंग कॉस्ट करीब 8.5 प्रतिशत है। वहीं, बैंक लगभग 3.5 प्रतिशत और बड़ी NBFCs लगभग 7 प्रतिशत पर फंड जुटाती हैं। ऐसे में Zerodha अनसिक्योर्ड लोन में उनके मुकाबले आकर्षक ब्याज दर नहीं दे सकती।
लेंडिंग बिजनेस में बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल वाले ग्राहक हमेशा सबसे सस्ती दर देने वाली संस्थाओं के पास जाते हैं। ऐसे में Zerodha के पास वही ग्राहक आते, जिन्हें दूसरे संस्थान मना कर चुके हों। और यह जोखिम बढ़ाता है।
अनसिक्योर्ड लोन का कठिन मॉडल
कामत का कहना है कि अनसिक्योर्ड लोन रिकवरी एजेंट्स, कलेक्शन कॉल्स और बार-बार किए जाने वाले फॉलो-अप पर निर्भर होते हैं। Zerodha इस तरह की आक्रामक रिकवरी कल्चर से दूर रहना चाहती है। क्योंकि यह उसकी ब्रांड पहचान और ग्राहक–केन्द्रित मॉडल से मेल नहीं खाती।
लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज ज्यादा सुरक्षित क्यों
कामत के मुताबिक, सिक्योरिटीज के बदले दिए जाने वाले लोन का ढांचा काफी सुरक्षित है। RBI नियमों के तहत इन लोन पर 50 प्रतिशत हेयरकट अनिवार्य है यानी ग्राहक को लोन से कम से कम दोगुनी वैल्यू की सिक्योरिटीज गिरवी रखनी पड़ती हैं।
इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ग्राहक लोन का बोझ उठाने की क्षमता रखता है और डिफॉल्ट का जोखिम बेहद कम रहता है। इस वजह से Zerodha इस प्रोडक्ट को 10–11 प्रतिशत की ब्याज दर पर सुरक्षित रूप से चला पाती है।
ब्रांड फिलॉसफी: जरूरत के हिसाब से लोन
कामत ने यह भी कहा कि Zerodha मानती है कि क्रेडिट तभी इस्तेमाल होना चाहिए, जब उसकी सच में जरूरत हो और व्यक्ति उसे वापस करने में सक्षम हो। सिर्फ इसलिए नहीं कि लोन आसानी से उपलब्ध है। इसलिए कंपनी का मॉडल कभी भी आक्रामक लेंडिंग पर आधारित नहीं रहा।
ग्राहक की मौजूदा होल्डिंग्स पर जोर
कामत के मुताबिक, Zerodha की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उसके ग्राहक पहले से ही कंपनी के पास सिक्योरिटीज रखते हैं। ऐसे में लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज ब्रोकिंग बिजनेस का प्राकृतिक विस्तार है, न कि कोई अलग NBFC-स्टाइल क्रेडिट मॉडल।
कई वैश्विक बाजारों में तो इस तरह का लोन ब्रोकिंग फंक्शन का हिस्सा ही माना जाता है और इसके लिए अलग NBFC लाइसेंस की जरूरत भी नहीं होती।