लोगों की कमाई जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उससे तेज रफ्तार से उनके खर्च बढ़ रहे हैं। इस वजह से परिवार पर वित्तीय दबाव हमेशा बना रहता है। परिवार को बार-बार पर्सनल लोन लेना पड़ता है। क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ता है। इसका सीधा असर परिवार के इनवेस्टमेंट पर पड़ता है।
छोटी-छोटी गलतियां निवेश में बाधक बनती हैं
चार्टर्ड अकाउंटेंट और फाइनेंशियल एजुकेटर नितिन कौशिक का कहना है कि फाइनेंशियल हैबिट्स में बदलाव कर वित्तीय दबाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम अक्सर ऐसी छोट-छोटी गलतियां करते हैं, जिसका असर हमारी वित्तीय सेहत पर पड़ता है। उदाहरण के लिए कई लोग सैलरी बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ाते हैं। एक साथ कई पर्सनल लोन लेते हैं। इनवेस्टमेंट से ज्यादा खर्च में दिलचस्पी दिखाते हैं।
इनकम से ज्यादा खर्च वित्तीय दबाव की असली वजह
कौशिक का कहना है कि ज्यादातर लोगों के वेल्थ क्रिएट नहीं कर पाने की वजह यह नहीं है कि वे कम कमाते हैं बल्कि असल वजह यह है कि वे अपने खर्च को नियंत्रण में नहीं रख पाते हैं। ज्यादातर परिवार इनकम बढ़ते ही लाइफ स्टाइल से जुड़े खर्च बढ़ा देते हैं। इससे इनवेस्टमेंट पर फोकस घट जाता है। कई लोग सोचते हैं कि इनकम बढ़ने के बाद वे निवेश बढ़ाएंगे। लेकिन, वह समय कभी नहीं आता है।
कम से कम 15 फीसदी इनकम का इस्तेमाल निवेश के लिए
खर्च को नियंत्रण में रख बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है। कौशिक का कहना है कि कुछ ऐसे फॉर्मूला हैं, जो निवेश बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं। पहला, आपको अपनी मंथली इनकम का कम से कम 15 फीसदी इनवेस्ट करना होगा। आप यह निवेश लो कॉस्ट इंडेक्स फंड में सिप के जरिए कर सकते हैं। बाकी 85 पैसे का इस्तेमाल आपको मंथली खर्च के लिए करना होगा।
पर्सनल लोन की EMI वित्तीय दबाव काफी बढ़ा देती है
दूसरा, जब तक बहुत जरूरी नहीं हो जाए पर्सनल लोन न लें। पिछले कुछ सालों से पर्सनल लोन लेना बहुत आसान हो गया है। बैंक और एनबीएफसी के ऑफर रोजाना आपके फोन पर आते रहते हैं। इनमें कम इंटरेस्ट रेट और प्री-एव्रूव्ड लोन का लालच दिया जाता है। कई लोग ऐसे ऑफर को तुरंत एक्सेप्ट कर लेते हैं। लेकिन, लोन लेने के अगले महीने से ही उसकी EMI शुरू हो जाती है। इसका सीधा असर आपके निवेश पर पड़ता है।
लो कॉस्ट इंडेक्स फंड में लंबी अवधि के लिए करें निवेश
कौशिक का कहना है कि लो कॉस्ट इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए आपको सही मौके का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आप लॉन्ग टर्म में सालाना 12-15 फीसदी रिटर्न की उम्मीद के साथ ऐसे फंड में 25-30 साल तक निवेश करते हैं तो आप 3 से 6 करोड़ तक का फंड तैयार कर सकते हैं। इसकी बड़ी वजह कंपाउंडिंग है। कंपाउंडिंग की वजह से थोड़े अमाउंट के रेगुलर निवेश से भी लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार हो जाता है।