उतार-चढ़ाव वाले बाजार में डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स (Dividend Yield Stocks) का अट्रैक्शन बढ़ जाता है। डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स का मतलब ऐसी कंपनियों के शेयरों से है, जो अपने प्रॉफिट का एक हिस्सा शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड (Dividend) के रूप में देती हैं। ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवश करने वाले म्यूचुअल फंड्स स्कीमों की चमक भी बढ़ जाती है। पिछले एक साल से इनवेस्टर्स उन सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के शेयरों में इनवेस्ट कर रहे हैं, जिनकी यील्ड अट्रैक्टिव है।
वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, डिविडेंड यील्ड फंड्स और पीएसयू इक्टिटी फंड्स ने 13 जुलाई, 2022 तक की एक साल की अवधि में क्रमश: 3.19 फीसदी और 7.58 फीसदी रिटर्न दिए हैं। इस दौरान Flexicap Funds ने 0.12 फीसदी रिटर्न दिए हैं।
आइए सबसे पहले डिविडेंड यील्ड का मतलब जानने की कोशिश करते हैं। शेयर से मिले डिवेंडड अमाउंट को शेयर प्राइस से डिवाइड करने पर जो संख्या आती है, उसमें 100 से मल्टीप्लाई करने पर हमें डिविडेंड यील्ड मिलती है। इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी शेयर का प्राइस 100 रुपये है और उसने 2 रुपये डिविडेंड दिया है तो डिविडेंड यील्ड 2 फीसदी होगा। डिविडेंड यील्ड जितनी ज्यादा होगी, उतना ही अच्छा होगा।
एक इनवेस्टर्स 5 फीसदी इंटरेस्ट रेट वाले बॉन्ड की बजाय 5 फीसदी डिविडेंड यील्ड वाले शेयर को खरीदना पसंद करेगा। हालांकि, स्टॉक के प्राइस में उतार-चढ़ाव हो सकता है और डिविडेंड की गारंटी नहीं है, फिर भी इनवेस्टर को भविष्य में होने वाली कंपनी की कमाई में हिस्सेदार बनने का मौका मिलता है। बॉन्ड के साथ ऐसा नहीं है।
आपको इंटरनेट पर ऐसे शेयरों की लिस्ट आसानी से मिल जाएगी, जिनकी डिविडेंड यील्ड ज्यादा है। लेकिन, आपको उन कंपनियों को अलग करना होगा, जिनका लगातार डिविडेंड देने का रिकॉर्ड अच्छा है और उनकी बुनियादी स्थिति भी मजबूत है।
बेंगलुरु की गेनिंग ग्राउंड इनवेस्टमेंट सर्विसेज के फाउंडर रवि कुमार टीवी ने बताया, "इनवेस्टर्स को कंपनी के ग्रोथ फेज को ठीक तरह से समझना होगा। सिर्फ डिविडेंड के ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करना सही नहीं होगा। आपको उसकी बुनियादी स्थिति को भी देखना होगा।"
पिछले दो साल इनवेस्टर्स के लिए बहुत चैलेंजिंग रहे हैं। साल 2021 में इंटरेस्ट रेट कम होने पर इनवेस्टर्स ने उन कंपनियों में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई, जिनकी यील्ड अच्छी थी। अब इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर स्थिति बदल गई है। इस वजह से कमजोर बुनियादी वाली कई कंपनियों के शेयरों की कीमतें में तेज गिरावट आई है। निवेशकों को ऐसी कंपनियों की तलाश करनी होगी जिनकी बैलैंसशीट मजबूत होने के साथ ही कैश जेनरेशन एबिलिटी अच्छी हो।
इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड का रास्ता भी अपना सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 8 स्कीमें हैं, जिन्होंने अपना 65 फीसदी पैसा अच्छे डिडिवेंड यील्ड वाले शेयरों में इनवेस्ट किया है। इन स्कीमों ने पांच साल और 10 साल की अवधि (13 जुलाई को खत्म) में क्रमश: 9.71 फीसदी और 12.81 फीसदी रिटर्न दिए हैं।