Adhik Maas 2026: नए साल में होगा अधिक मास, जानिए कब होता है अधिक मास और क्या है ये दुर्लभ संयोग

Adhik Maas 2026: हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, लेकिन हर तीन साल के अंतराल पर एक मास जुड़ता है। इस बार अधिक मास अंग्रेजी कैलेंडर के नए साल 2026 में आएगा। जानिए इस साल बढ़ेगा कौन सा महीना और कब और क्यों होता है अधिक मास

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 1:02 PM
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विक्रम संवत 2083 में अधिक मास होगा, जो इस बार ज्येष्ठ मास में आएगा।

Adhik Maas 2026: हिंदू धर्म में अधिक मास को आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत अहम माना जाता है। अधिक मास हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों में एक अतिरिक्त माह जुड़ने पर होता है। इसे मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इसे विशेष धार्मिक कर्मों के लिए पवित्र माना जाता है। हिंदू व्रत और त्योहारों की गणना विक्रम संवत के आधार पर की जाती है। नया हिंदू वर्ष चैत्र माह से शुरू होता है, जबकि फाल्गुन इसका अंतिम मास होता है। अभी विक्रम संवत 2082 चल रहा है, जिसका समापन होली के बाद हो जाएगा। चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा से नया विक्रम संवत 2083 शुरू होगा। इसी नए हिंदू वर्ष में एक माह बढ़ने पर अधिक मास होगा।

इस साल होंगे दो ज्येष्ठ मास

विक्रम संवत 2083 में अधिक मास होगा, जो इस बार ज्येष्ठ (जेठ) मास में आएगा। इसका मतलब है कि साल 2026 में एक की जगह दो-दो ज्येष्ठ महीने होंगे, एक सामान्य ज्येष्ठ और एक अधिक ज्येष्ठ। अधिक मास जुड़ने की वजह से इस बार ज्येष्ठ का समय लगभग 58 से 59 दिनों तक रहेगा। यानी, विक्रम संवत पंचांग के मुताबिक 2083 वर्ष में 13 महीने होंगे।

17 मई से शुरू होगा ज्येष्ठ अधिक मास

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की शुरुआत 22 मई से 29 जून 2026 तक रहेगी, जबकि अधिक मास 17 मई 2026 से शुरू होगा। इसका समापन 15 जून 2026 को होगा।

अधिक मास का कारण


हिंदू पंचांग में लगभग हर तीसरे वर्ष एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है, जिसे अधिक मास कहते हैं। यह माह का वो अतिरिक्त हिस्सा होता है, जो लगभग हर 32 माह, 16 दिन और कुछ घंटों के अंतराल पर उत्पन्न होता है। यही अतिरिक्त समय अधिक मास कहलाता है, जो धार्मिक दृष्टि से खास महत्व रखता है और कई लोग इसे आध्यात्मिक साधना, दान और जप-तप के लिए शुभ मानते हैं। इसकी मुख्य वजह है कि सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। चंद्रमा का मासिक चक्र सूर्य की तुलना में थोड़ा छोटा होता है, इसलिए दोनों की गणना में यह फर्क हर साल बढ़ता जाता है। इसी अंतर को संतुलित करने के लिए पंचांग में कुछ वर्षों के बाद एक पूरा महीना अतिरिक्त जोड़ दिया जाता है, जिससे समय-चक्र फिर से व्यवस्थित हो जाता है।

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