चैत्र नवरात्रि का पर्व आते ही श्रद्धालु माता रानी की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस पावन अवसर पर 9 दिनों तक व्रत और पूजन के विशेष नियमों का पालन किया जाता है। लेकिन महिलाओं के लिए ये समय कभी-कभी उलझन भरा भी हो सकता है, खासकर जब वे नवरात्रि के दौरान मासिक धर्म (पीरियड्स) से गुजर रही हों। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है—क्या वे व्रत पूरा कर सकती हैं? क्या पूजा-पाठ करना वर्जित होगा? ज्यादातर महिलाएं इस विषय पर असमंजस में रहती हैं, क्योंकि धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक परंपराएं अलग-अलग राय देती हैं।
हालांकि, शास्त्रों में इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनका पालन कर महिलाएं बिना किसी मानसिक दुविधा के व्रत रख सकती हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दौरान पीरियड्स आने पर किन नियमों को अपनाना चाहिए और क्या इस दौरान व्रत करना उचित है?
व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
अगर किसी महिला ने नवरात्रि व्रत का संकल्प लिया है, तो ये आवश्यक होता है कि वो इसे पूरे नियमों के साथ निभाए। यदि आपने किसी खास अवधि (जैसे 2, 5 या 7 साल) तक नवरात्रि का व्रत करने का संकल्प लिया है, तो इसे बीच में छोड़ना उचित नहीं माना जाता। इसलिए, अगर पीरियड्स के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाए, तो व्रत जारी रखा जा सकता है।
अगर पीरियड्स नजदीक हों तो पहले से करें प्लानिंग
महिलाओं के मासिक धर्म का चक्र 22 से 28 दिनों के बीच होता है। इसलिए, यदि आपको पहले से ही पता है कि पीरियड्स नवरात्रि के दौरान पड़ सकते हैं, तो बेहतर होगा कि आप व्रत रखने से बचें। लेकिन यदि आप व्रत करना चाहती हैं, तो आप केवल पहला और आखिरी दिन का उपवास रख सकती हैं। इस दौरान पूजा सामग्री, कलश आदि को छूने से बचें और दूर से ही मां दुर्गा के दर्शन करें।
मन से करें मां दुर्गा का ध्यान
यदि पीरियड्स के दौरान पूजा करने की मनाही हो, तो भी आप मानसिक रूप से मां दुर्गा का स्मरण कर सकती हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ मन ही मन करें या इसे सुनें। इसके अलावा, एकांत में बैठकर ध्यान करें और मां दुर्गा का नाम जप करें। ये विधि आपको आध्यात्मिक रूप से शक्ति प्रदान करेगी और आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त होगा।
दूसरे व्यक्ति से कराएं पूजा
अगर पीरियड्स नवरात्रि के बीच में आ जाएं, तो आप घर के किसी अन्य सदस्य से पूजा करवाने का विकल्प अपना सकती हैं। इससे आपका संकल्प भी बना रहेगा और पूजा के नियमों का पालन भी होगा। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने या सुनने से भी व्रत का पूरा फल मिलता है।
भक्तों के लिए मां भगवती का आशीर्वाद सबसे महत्वपूर्ण
मासिक धर्म के दौरान व्रत और पूजा को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। लेकिन सबसे जरूरी है कि आप श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा की आराधना करें। यदि आप शारीरिक रूप से पूजा करने में असमर्थ हैं, तो भी मानसिक रूप से मां का ध्यान करने से आपको पुण्य फल प्राप्त होगा और मां भगवती आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण करेंगी।