चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह दिन शक्ति, समृद्धि, और शांति का प्रतीक माना जाता है। मां कुष्मांडा का रूप अत्यंत दिव्य और अलौकिक है। माना जाता है कि मां की मुस्कान से ही संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई और यही कारण है कि उन्हें "कूष्मांडा" कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘कुम्हड़े की देवी’, क्योंकि उन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। मां कुष्मांडा की आठ भुजाओं में दिव्य अस्त्र और शस्त्र होते हैं, जो हर प्रकार की बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने में सक्षम हैं। इस दिन उनकी पूजा से ना केवल शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि का वास भी होता है।