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Chaitra Navratri 2025: सप्तमी तिथि पर ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, मिलेगी अकाल मृत्यु से मुक्ति

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन, महासप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस दिन उनकी विशेष पूजा से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती का महत्व

अपडेटेड Apr 04, 2025 पर 6:35 AM
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Chaitra Navratri 2025: मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से भय, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं का नाश हो जाता है।

नवरात्रि का सातवां दिन, जिसे महासप्तमी कहा जाता है, मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि को अत्यंत शक्तिशाली और दुष्ट संहारक देवी माना जाता है। जब-जब धरती पर अधर्म और अन्याय बढ़ता है, तब देवी कालरात्रि प्रकट होकर असुरों का विनाश करती हैं। उनका स्वरूप भले ही अंधकारमय और विकराल हो, लेकिन वह सद्गुणी भक्तों की रक्षक और कल्याणकारी हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। जो भक्त श्रद्धा और सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन विशेष पूजा-विधि, भोग और मंत्रों का महत्व होता है, जिससे मां कालरात्रि की कृपा प्राप्त की जा सकती है। आइए, जानते हैं इस दिन की पूजा विधि और महत्व।

मां कालरात्रि कौन हैं?


नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। उनके नाम का अर्थ है "अंधेरी रात", जो ये दर्शाता है कि वो अंधकार और बुरी शक्तियों का नाश करने वाली देवी हैं। मां कालरात्रि के काले रंग का शरीर और बिखरे हुए लंबे बाल उनके प्रचंड रूप को दर्शाते हैं। उनके गले में एक चमकदार मुंडमाला होती है, जो बिजली के समान दिखाई देती है। मां कालरात्रि को देवी काली का स्वरूप भी माना जाता है। जब धरती पर अधर्म और अन्याय बढ़ जाता है, तब वो विकराल रूप धारण कर दुष्टों का अंत करती हैं। मां कालरात्रि की विशेषता ये है कि वो अंधकारमय रूप में प्रकट होकर भी संसार में प्रकाश फैलाती हैं।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से भय, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं का नाश हो जाता है। उनकी आराधना करने से भक्तों को साहस, पराक्रम और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।

महासप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा के लाभ

भक्त के जीवन में भय समाप्त हो जाता है।

व्यक्ति में साहस और आत्मबल की वृद्धि होती है।

जीवन में बाधाओं से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ता है।

इसलिए महासप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा करना अत्यंत फलदायी और शुभ माना जाता है।

मां कालरात्रि की पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा के लिए विशेष नियमों का पालन किया जाता है।

पूजा की विधि:

सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां कालरात्रि की पूजा के लिए चौकी पर उनकी प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

मां को काले रंग की चुन्नी अर्पित करें।

रोली, अक्षत, दीप और धूप अर्पित करें।

मां कालरात्रि को रातरानी का फूल चढ़ाएं, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।

गुड़ या गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं।

मां कालरात्रि के पाठ, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

अंत में मां की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

मां कालरात्रि का प्रिय भोग और प्रसाद

मां कालरात्रि को गुड़ और उससे बनी मिठाइयों का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

भोग में क्या अर्पित करें?

गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयाँ।

मालपुए, क्योंकि यह मां कालरात्रि को अत्यंत प्रिय है।

मां कालरात्रि के शक्तिशाली मंत्र

मां कालरात्रि की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:

"क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:"

"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:"

"एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥"

"वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥"

"या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"

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