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Chhath Puja 2025:नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे है ये वजह, इस पौराणकि कथा से जानिए महत्व

Chhath Puja 2025: अक्सर महिलाओं को नाक से मांग तक सिंदूर लगाते हुए देखा होगा। ये दृश्य छठ पर्व में आमतौर से देखने को मिलता है। व्रत करने वाली महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है, जिसका संबंध पति की लंबी उम्र से है। आइए जानें इस पौराणिक कथा के बारे में

अपडेटेड Oct 24, 2025 पर 6:22 PM
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स्थानीय परंपराओं के अनुसार इसका संबध पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन से है।

Chhath Puja 2025: छठ पूजा में नदी के तट पर घाट व्रतियों कतारों के साथ एक और दृश्य आमतौर पर देखने को मिलता है। इस दौरान व्रत करने वाली लगभग सभी महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाए नजर आती हैं। ये परंपरा बिहार, झारखंड, पूवी उत्तर प्रदेश और नेपाल में अधिकतर देखने को मिलती है। इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। स्थानीय परंपराओं के अनुसार इसका संबध पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन से है। आइए जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं कौन सी हैं।

हिंदू धर्म में सिंदूर का महत्व

हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं। यह उसके विवाहित होने की निशानी होता है। कहते हैं कि सुहागिनें महिलाएं अनले पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए सिंदूर लगाती है। यह भी माना जाता है कि मांग में सिंदूर जितना लंबा होगा, पति की उम्र भी उसी तरह लंबी होगी

नाक से मांग तक क्यों लगाया जाता है सिंदूर?

नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। बहुत समय पहले जंगल में वीरवान नामक युवक रहता था जो एक शिकारी होने के साथ बहुत वीर भी था। उसके सामने बड़े से बड़े शेर या नरभक्षी, भी पस्त हो जाते थे। वहीं गांव के बाहर एक युवती रहती थी जिसका नाम धीरमति था। एक बार जंगली पशुओं ने धीरमति को घेर लिया और उस समय वीरवान ने उसके प्राण बचाए। इसके बाद दोनों एक दूसरे के साथ रहने लगे। लेकिन उसी जंगल में एक कालू रहता था, जिसे उन दोनों का मिलना पसंद नहीं था।

एक दिन वीरवान और धीरमती शिकार के लिए निकले, मगर उन्हें काफी अंदर तक चले जाने के बावजूद कोई शिकार नहीं मिला। तब दोनों को प्यास लगी और वीरवान पानी की तलाश में चला गया और धीरमति उसका इंतजार करने लगी। कालू को अच्छा मौका मिल गया और उसने वीरवान को अकेले देखकर हमला कर दिया और उसे घायल कर दिया। उसकी चीख सुनते ही धीरमति वहां पहुंची और कालू पर हंसिया चला दी। कालू ने भी उसके ऊपर हमला कर दिया । धीरमति ने अपनी बहादुरी से कालू पर वार कर उसे मार डाला। इसके बाद वीरवान को अपनी पत्नी की बहादुरी पर बहुत गर्व हुआ और उसने अपना खून से सना हाथ प्यार से उसके सिर पर रखे। हाथ खून में रंगा था इसलिए धीरमति की मांग और माथे पर खून लग गया। सिंदूर शौर्य का प्रतीक है, वहीं इज्जत नाक से जुड़ी है। ऐसे में सिंदूर को शौर्य, प्रेम, इज्जत और वीरता का प्रतीक मानते हैं।


दूसरी कथा जुड़ी है महाभारत काल से

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब दु:शासन गरजते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा तब उन्होंने श्रृंगार नहीं किया था और उन्होंने सिंदूर भी नहीं लगाया था। लेकिन, दुशासन जब उन्हें जबरन खींच कर अपने साथ ले जाने के लिए द्रौपदी के बाल पकड़े और खींचने लगा। द्रौपदी बिना सिंदूर लगाए पतियों के सामने नहीं जा सकती थी इसलिए उन्होंने जल्दी से सिंदूर दानी ही अपने सर पर पलट ली, जिससे गलती से सिंदूर नाक तक लग गया। इसलिए वस्त्र हरण के बाद द्रौपदी ने बाल खुले रखे और हमेशा नाक तक लंबा सिंदूर लगाया।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सामग्री जानकारी मात्र है। हम इसकी सटीकता, पूर्णता या विश्वसनीयता का दावा नहीं करते। कृपया किसी भी कार्रवाई से पहले विशेषज्ञ से संपर्क करें

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