जब आप किसी पूजा में शामिल होते हैं या घर में स्वयं पूजा करते हैं, तो माथे पर तिलक लगाना एक महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है। ये केवल धार्मिक रीति नहीं है, बल्कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को संतुलित करने का एक प्रभावी तरीका भी है। तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला माना जाता है। सही तरीके से तिलक लगाने से न केवल मन को शांति और स्थिरता मिलती है, बल्कि ये एकाग्रता को भी बढ़ाता है। इससे व्यक्ति का ध्यान पूजा या ध्यान में केंद्रित रहता है और मानसिक तनाव कम होता है।
इसके अलावा, तिलक लगाने से ग्रहों की शुभ ऊर्जा प्रभावित होती है, जिससे भाग्य और जीवन की परिस्थितियों में सुधार आता है। इसलिए, ये परंपरा सिर्फ रूपक नहीं बल्कि जीवन को संतुलित और सकारात्मक बनाने का एक साधन भी है।
स्नान के बाद ही तिलक लगाएं – तिलक हमेशा साफ शरीर और ताजगी के साथ ही लगाया जाना चाहिए।
पहले भगवान, फिर माथे – तिलक पहले देवता की मूर्ति या तस्वीर पर लगाएं, फिर अपने माथे पर।
अंगुली का महत्व – तिलक हमेशा अनामिका अंगुली से लगाना चाहिए।
रात में हटाना जरूरी – रात में तिलक को हटाए बिना सोने से आपकी ऊर्जा नकारात्मक रूप में बदल सकती है।
तिलक के विभिन्न प्रकार और उनके फायदे
ग्रहों के अनुसार तिलक का चुनाव
सही ग्रह अनुसार तिलक लगाने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि मानसिक ऊर्जा भी सकारात्मक रहती है।