Dahi Handi 2025 कृष्ण भक्त आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मना रहे हैं। मंदिरों से लेकर घर तक हर कहीं जन्माष्टमी की धूम है। छोटे-छोटे बच्चे राधा-कृष्ण की तरह सजे बहुत प्यारे लग रहे हैं। आधी रात को कृष्ण जन्म होने तक लोग भजन-कीर्तन करते रहें। लेकिन, अगर आपको लग रहा है कि कृष्ण जन्म के साथ ये त्योहार पूरा हो जाएगा, तो नहीं श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भगवान की छठी तक मनाया जाता है।
वहीं, जन्माष्टमी के अगले दिन कृष्ण लीला के तौर पर कई जगह दही हांडी का उत्सव मनाने की परंपरा है। इसमें ऊंची जगह पर दही, माखन या धन से भरी मटकी बांध दी जाती है और गोपाला बने लड़के इन्सानी पिरामिड बनाकर इस तक पहुंचते हैं। इस साल ये पर्व 17 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार ज्यादातर महाराष्ट्र और गोवा में मनाया जाता है। इसे गोपालकाला के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है, जिन्हें मक्खन, दही और दूध से बनी चीजें बहुत पसंद थीं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, दही हांडी कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन बाद मनाई जाती है। इसके लिए भक्त भगवान कृष्ण की लीलाओं को दोहराते हैं और उसके आनंद में सराबोर होते हैं।
दही हांडी उत्सव में छुपी सीख
दही हांडी सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है। ये हमें टीम वर्क, एकता और भक्ति की सीख देता है। यह भक्तों को कृष्ण के चंचल स्वभाव के बावजूद अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने सीख देता है और माखन के प्रति उनके विशेष प्रेम की याद दिलाता है। इस आयोजन का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है, गोविंदा जैसे-जैसे हांडी की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे भक्त भी अपने समर्पण और सामूहिक प्रयास से ईष्ट को पाने की तरफ बढ़ते हैं।
यहां रहती है इस पर्व की धूम
मुंबई, ठाणे और पुणे में, दही हांडी का उत्सव बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इसके लिए इनाम भी रखे जाते हैं। हांडी को अक्सर कई मंजिल ऊपर बांधा जाता है, जिससे मुकाबला मजेदार बने। गोविंदाओं का ध्यान भटकाने के लिए गोपियों पानी या फिसलन वाली चीजें उनके ऊपर डालती हैं।