Dhanteras 2025: दिवाली के महापर्व की शुरुआत धनतेरस के त्योहार से होती है। इस दिन लोग सोना-चांदी और संपत्ति आदि की खरीदारी करना शुभ मानते हैं। कहते हैं इस दिन सोना-चांदी या संपत्ति की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-संपदा में 13 गुना वृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 18 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। लेकिन धनतेरस का त्योहार क्या सिर्फ सोना-चांदी खरीदने तक ही सीमित है, या इसके कुछ और अर्थ भी हैं? इस दिन लक्ष्मी माता और कुबेर देव की ही पूजा की जाती है? धनवंतरी भगवान कौन हैं, जिन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहते हैं? धनतेरस से इनका क्या संबंध है? आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं, तो आइए जानें इनके सही जवाब
आयुर्वेद के जन्मदाता हैं भगवान धनवंतरी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से तेरहवें रत्न थे। भगवान धनवंतरी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र से प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाने लगा। इन्हें भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का जनक माना जाता है। भगवान धनवंतरी अपने भक्तों का आरोग्य का वरदान देते हैं।
धन के देवता कुबेर की भी पूजा का है महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, कुबेर देव ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। उन्हें भगवान शिव ने धन के देवता का पद सौंपा था। माना जाता है कि हर देवी-देवता को उनकी पूजा के लिए एक निश्चित दिन मिल गया था, लेकिन कुबेर देव की पूजा का दिन निश्चित नहीं था। तब भगवान शिव ने उनकी पूजा के लिए धनतेरस का पर्व चुना और धनवंतरी भगवान के साथ पूजा का वरदान दिया।
धनतेरस का अर्थ उस रत्न से है जो तेरस अर्थात तेरहवीं तिथि पर प्रकट हुआ हो। इस तरह धनतेरस पर धनवंतरी भगवान की पूजा होती है। वहीं, कुबेर देव की पूजा खरीदारी और घर के धन के रूप में की जाती है।
धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा के लाभ
धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा करने से अच्छी सेहत और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। दिवाली के पर्व में उनकी पूजा का अर्थ है कि अच्छी सेहत सबसे बड़ा धन है जिससे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।