Credit Cards

Durga Pooja 2025: नवपत्रिका पूजा में मां दुर्गा को अर्पित की जाती हैं ये खास चीजें, जानिए इनका महत्व और पूजा की सही तारीख

Durga Pooja 2025: शारदीय नवरात्र में होने वाली दुर्गा पूजा में नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। यह पर्व हमारी कृषि सम्पन्नता से जुड़ा है और इसे मां दुर्गा की पूजा के साथ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और उनकी कृपा प्राप्त होती है। ये पर्व मुख्य रूप से बंगाली समुदाय द्वारा की जाती है।

अपडेटेड Sep 27, 2025 पर 7:28 PM
Story continues below Advertisement
नवपत्रिका पूजा का पर्व हमारी कृषि सम्पन्नता से जुड़ा है।

Durga Pooja 2025: शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है और इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों में ये दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। यह पर्व हमारी कृषि सम्पन्नता से जुड़ा है और इसे मां दुर्गा की पूजा के साथ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और उनकी कृपा प्राप्त होती है। ये पर्व मुख्य रूप से बंगाली समुदाय द्वारा की जाती है।

क्या है नवपत्रिका पूजा?

हैं।यह अनुष्ठान विशेष रूप से बंगाली परंपरा का एक अभिन्न अंग है। यह पूजा नौ अलग-अलग पौधों और पत्तियों को मिलाकर की जाती है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती है। इसे शारदीय नवरात्र के सातवें दिन यानी महा सप्तमी को किया जाता है। इस साल, यह पूजा सोमवार, 29 सितंबर 2025 को की जाएगी। नवपत्रिका का शाब्दिक अर्थ ‘नौ पत्तियां’ है, वास्तव में नौ पौधों का समूह है। इन पौधों को एक साथ बांधकर, उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है। यह प्रकृति और दिव्य शक्ति के आपसी संबंध का प्रतीक है।

नवपत्रिका पूजा का दिन और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि 29 सितंबर को दोपहर 2:27 बजे से प्रारंभ होगी और 29 सितंबर को दोपहर 4:31 बजे समाप्त होगी। इसलिए नवपत्रिका पूजा सोमवार, 29 सितंबर 2025 को की जाएगी।

शुभ मुहूर्त


सूर्योदय : सुबह 5:49 बजे

सूर्योदय : सुबह 6:13 बजे

इन नौ पौधों के पत्तों की होती है पूजा

  • केले का पौधा (रम्भा) : मां ब्राह्मणी का रूप है।
  • अरबी का पत्ता (कचु) : मां काली का रूप है।
  • हल्दी का पौधा (हरिद्रा): मां दुर्गा का रूप है।
  • जया का पौधा : मां कार्तिकी का रूप है।
  • बेल पत्र (बिल्व) : मां पार्वती का रूप है।
  • अनार का पत्ता (दारिम्ब) : मां रक्तदंतिका का रूप है।
  • अशोक का पत्ता : मां शोकहारिणी का रूप है।
  • धान की बाली (धान्य) : मां लक्ष्मी का रूप है।
  • कचू का पत्ता : मां चंडी का रूप है।

Dev Uthani Ekadashi 2025: इस दिन के बाद शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्यक्रम, इस साल बस 17 दिन मिलेंगे शुभ मुहूर्त

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।