Dussehra 2025: हिंदू धर्म में दशहरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय हुई थी। दशहरा एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो हर साल दुर्गा पूजा और नवरात्रि के समापन पर मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार कई शुभ संयोगों में 02 अक्टूबर को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस साल दशहरा पर रवि, धृति और सुकर्मा योग के साथ ही कई नक्षत्रों का अनूठा और दुर्लभ संगम बन रहा है। आइए जानें इस पर्व की तिथि, समय और इन दुर्लभ संयोगों के बारे में।
इस वर्ष, दशहरा का त्योहार गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
दशमी तिथि प्रारंभ - 1 अक्टूबर, शाम 7:01 बजे
दशमी तिथि समाप्त - 2 अक्टूबर, शाम 7:10 बजे
अपराह्न पूजा समय - दोपहर 1:21 बजे से दोपहर 3:45 बजे तक
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ - 2 अक्टूबर, सुबह 9:13 बजे
श्रवण नक्षत्र समाप्त - 3 अक्टूबर, सुबह 9:34 बजे
ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक, इस बार दशहरा के दिन रवि योग, सुकर्मा योग और धृति योग का अद्भुत और दर्लभ संयोग बन रहा है। विजयादशमी पर पूरे दिन रवि योग रहेगा, जिससे जीवन में सकारात्मकता और सफलता का मार्ग खुलता है। इसके साथ ही रात्रि 12:35 बजे से 11:29 बजे तक (2 अक्टूबर) सुकर्म योग रहेगा और इसके बाद धृति योग लग जाएगा। ये तीनों योग हर शुभ कार्य और पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन सुबह 09:13 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा और इसके बाद पूरी रात तक श्रवण नक्षत्र का प्रभाव रहेगा।
रवि योग : रवि योग अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस समय सूर्यदेव की ऊर्जा से जीवन में सकारात्मकता आती है और किए गए कार्य कभी असफल नहीं होते।
सुकर्म योग : सुकर्म योग अच्छे कर्मों का योग है। इस समय किए गए प्रयास शुभ और कल्याणकारी होते हैं। पूजा, अनुष्ठान, शिक्षा या व्यापार संबंधी कार्य विशेष रूप से सफलता दिलाते हैं।
धृति योग : धृति योग धैर्य और स्थिरता का प्रतीक है। इस समय लिए गए निर्णय सही दिशा देते हैं और कार्य लंबे समय तक टिकाऊ होते हैं। पारिवारिक कार्य और नई योजनाओं की शुरुआत के लिए यह योग श्रेष्ठ है।