Shardiya Navratri: नवरात्र के पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस पर्व में भक्त महाअष्टमी और महानवमी दोनों दिन कन्या पूजन करते हैं। इस साल नवरात्र में एक तिथि के बढ़ने की वजह से ये त्योहार नौ दिनों का न होकर 10 दिनों का हो रहा है। इससे भक्तों को माता रानी की सेवा के लिए जहां एक दिन और मिला है, वहीं इससे तिथियों को लेकर काफी असमंजस बना हुआ है। आज शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि का पर्व मनाया जा रहा है और कल यानी 30 अक्टूबर को महाअष्टमी की पूजा की जाएगी। जो भक्त अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं, वो कल करेंगे। नवमी तिथि पर कन्या पूजन 01 अक्टूबर, बुधवार के दिन किया जाएगा। अष्टमी पर कन्या पूजन के लिए भक्तों को सुबह से लेकर दोपहर तक कई मुहूर्त मिल रहे हैं। इनमें से किसी भी शुभ मुहूर्त में आयोजन शुभ रहेगा।
आज शाम से लग जाएगी अष्टमी
शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि आज यानी 29 सितंबर की शाम से लग जाएगी। इसकी शुरुआत 29 सितंबर को शाम 4.31 बजे से होगी और तिथि का समापन 30 सितंबर की शाम 6.06 बजे होगा।
कन्या पूजन के लिए इतने शुभ मुहूर्त
कन्या पूजन का पहला मुहूर्त सुबह 5.01 बजे से लेकर सुबह 6.13 बजे तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त सुबह 10.41 मिनट दोपहर 12.11 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, कन्या पूजन अभिजीत मुहूर्त में भी कर सकते हैं। यह सुबह 11.47 बजे से लेकर दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा। इन तीनों मुहूर्तों में आप कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन के ये नियम जान लें
कन्या पूजन के लिए 10-11 साल तक की 7 से 11 कन्याओं और 1 बालक को बुला कर उन्हें भोजन कराया जाता है। शास्त्रों में कन्या पूजन नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से शुभ फल मिलता है। कई बार इस दिन घर में ज्यादा कन्याएं या बालक आ जाते हैं। ऐसा हो तो इसे मां का अशीर्वाद समझें और उन्हें खाली हाथ वापस न लौटाएं, कुछ न कुछ देकर ही विदा करें। कन्याओं के जाने के बाद न उस स्थान की तुरंत सफाई करें और न उनके थाल तुरंत हटाएं। कन्याओं की प्लेट को भी तुरंत धोने से बचें। कन्या पूजन का खाना घर पर ही बनाएं, यदि नहीं बना सकते हैं तो उन्हें फल, मिठाई या ड्राई फ्रूट्स का भोजन कराएं। कन्याओं को भोजन स्टील, पत्तल या लकड़ी की प्लेट में परोसना शुभ होता है।