Ganesh Chaturthi 2025: रणथंभोर का ऐतिहासिक किला हिंदू धर्म के लिए भी अलग महत्व रखता है, क्योंकि यहां विराजते हैं ‘त्रिनेत्र गणेश’। किले में स्थित गणेश भगवान का ये मंदिर पूरी दुनिया में अनूठा इसलिए है, क्योंकि यहां पूरे परिवार समेत उनकी पूजा की जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी के मौके पर एक बार फिर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने पहुंचेंगे। 700 साल पुराने इस मंदिर में भक्त सिर्फ बप्पा के दर्शन करने ही नहीं आते हैं, बल्कि यहां विराजमान उनकी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ दोनों बेटों के साथ ही उनके वाहन मूशक महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए भी आते हैं। हर साल गणेश चतुर्थी पर इस मंदिर की रोनक देखने वाली होती है। आसपास के राज्यों से भक्त लंबी दूरी तय कर यहां पहुंचे हैं और भगवान गणेश की आरती और भजन-कीर्तन करते हैं।
इस मंदिर के साथ बड़ी रोचक कहानी जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि ये मंदिर 1299 ईस्वी में बना था, जब रणथंभोर पर राजा हमीर राज करते थे। इस दौरान अलाउद्दीन खिलजी हमला किया था और काफी समय तक महल की गेराबंदी की थी। जब महल के अंदर खाने-पीने और युद्ध के लिए जरूरी रसद की कमी होने लगी, तो राजा ने गणेश भगवान से मदद मांगी।
बप्पा ने रात सपने में दिए दर्शन
उसी रात को गणेश जी ने राजा हमीर का सपने में दर्शन दिए और उनकी परेशानियां दूर करने का वादा किया। सुबह किसी चमत्कार की तरह किले की दीवार पर गणेश भगवान की त्रिनेत्री मूर्ति दिखाई दी और महल के सभी भंडार रातों-रात अपने आप भर गए। इसके बाद जल्द ही घेराबंदी भी खत्म हो गई। इसके बाद ही 1300 ईस्वी में राजा हमीर ने मंदिर का निर्माण कराया और उसमें गणेश की परिवार की मूर्तियां स्थापित कीं।
त्रिनेत्र का अथ होता है तीन आंखों वाला। गणपति जी के इस रूप को बहुत दुर्लभ माना जाता है। इसे ज्ञान, दिव्य दृष्टि और सुरक्षा का एक शक्तिशाली प्रतीक माना जाता है। यह भक्तों को याद दिलाता है कि गणेश उन्हें न केवल समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं, बल्कि जीवन की बाधाओं को दूर करने की समझ भी प्रदान करते हैं।
रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर देश के विभिन्न गणेश मंदिरों से अलग है क्योंकि यहां भगवान गणेश की पूजा उनके पूरे परिवार के साथ होती है। ये मिलकर भौतिक सुख और आध्यात्मिक समृद्धि के बीच संतुलन की छवि बनाते हैं।
गणेश भगवान को भक्त भेजते हैं चिट्ठी
इस मंदिर में भगवान गणेश को चिट्ठी और आमंत्रण भेजने की एक अनूठी परंपरा है। भक्त अपने यहां शादी, शुभकार्यों, नए कारोबार के उद्घाटन में भगवान गणेश को बुलाने के लिए मंदिर के नाम पत्र भेजते हैं। माना जाता है कि भक्तों का विश्वास है कि बप्पा सिर्फ उनके भगवान ही नहीं परिवार के मुखिया हैं, जो उनके हर प्रमुख कार्य में मौजूद होते हैं।
मुश्किल नहीं है यहां पहुंचना
हवाई मार्ग : यहां पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा (180 किमी) है। यहां से रणथंभौर के लिए टैक्सी और कैब उपलब्ध हैं।
ट्रेन से : सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन (10 किमी) निकटतम रेलवे स्टेशन है, जहां से किले तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग : रणथंभौर जयपुर, दिल्ली, अजमेर और जोधपुर जैसे प्रमुख शहरों से सरकारी बसों और निजी टैक्सियों के जरिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।