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Ganesh Chaturthi 2025: आज करें बप्पा की स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त और मंत्र

Ganesh Chaturthi 2025: इस बार गणेश चतुर्थी 2025 आज, 27 अगस्त को मनाई जाएगी। ये दस दिवसीय महापर्व अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर) को गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होगा। महाराष्ट्र में बड़े उत्साह से मनाया जाता है, लेकिन आज पूरे भारत में घर-घर इसकी रौनक दिखाई देती है। भक्त गणेश जी की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और सफलता की कामना करते हैं

अपडेटेड Aug 27, 2025 पर 8:32 AM
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Ganesh Chaturthi 2025: गणपति स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक है

इस बार गणेश चतुर्थी 2025 आज, 27 अगस्त को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। यह महापर्व दस दिनों तक चलेगा और 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होगा। महाराष्ट्र में यह पर्व विशेष रूप से भव्यता और धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन आज पूरे भारत में घर-घर इसकी रौनक दिखाई देती है। भक्त गणेश जी की स्थापना करके पूजा-अर्चना करते हैं, उनके सामने व्रत का संकल्प लेते हैं और बप्पा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।

इस दौरान घर और गलियों को सजाया जाता है, रंग-बिरंगी झांकियां और फूलों से वातावरण भक्तिमय बना दिया जाता है। छोटे-बड़े सभी लोग इस पर्व में हिस्सा लेते हैं और गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ उत्सव का आनंद उठाते हैं।

गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त


वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त दोपहर 1:53 बजे होगी और इसका समापन 27 अगस्त दोपहर 3:43 बजे तक रहेगा। गणपति स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक है, जिसे अभिजीत मुहूर्त माना गया है। इस समय भगवान गणेश की स्थापना करने से व्रत का फल अधिक मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लेना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी पर पूजा करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।

पूजा चौकी को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें।

चौकी पर पीले या लाल कपड़े का प्रयोग करें।

गणेश जी की प्रतिमा को विधिपूर्वक स्थापित करें।

धूप-दीप, फूल, दूर्वा, मोदक और लड्डू से भगवान का भोग लगाएं।

प्रतिदिन गणपति की आरती करें और भोग अर्पित करें।

गणेश जी के प्रिय भोग

भगवान गणेश को मीठा अत्यंत प्रिय है। इस अवसर पर दो विशेष भोग लगाए जाते हैं:

लड्डू: खासकर बेसन या बूंदी के लड्डू।

मोदक: बप्पा का सबसे प्रिय भोग, जिसे माता पार्वती के हाथों बनाए जाने का विशेष महत्व है।

गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व

गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और शुभता का प्रतीक है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं, घर का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और कार्यों में सफलता मिलती है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश की कृपा से सभी बाधाओं और कठिनाइयों का नाश होता है।

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