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Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा आज भूलकर भी न करें ये काम, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Govardhan Puja 2025: दिवाली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा का पर्व श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। ये दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित होता है। इस दिन गायों की पूजा और अन्नकूट भोग का विशेष महत्व होता है, जो प्रकृति और समृद्धि के प्रति आभार व्यक्त करता है

अपडेटेड Oct 22, 2025 पर 8:27 AM
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Govardhan Puja 2025: इन समयों में भगवान श्रीकृष्ण के गिरधारी स्वरूप की आराधना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा का पर्व आस्था, कृतज्ञता और प्रकृति के सम्मान का प्रतीक है। ये दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान ने ब्रजवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया था। तभी से श्रद्धालु इस दिन अन्नकूट का भोग लगाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। इस पर्व का संदेश है कि हमें प्रकृति, अन्न और पशुओं का आदर करना चाहिए, क्योंकि ये हमारी जीवन-रेखा हैं। उत्तर भारत के मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल जैसे क्षेत्रों में ये पर्व खास श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा, अन्नकूट भोग, और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व होता है। ये दिन समृद्धि, कृतज्ञता और ईश्वर के प्रति विनम्रता का प्रतीक माना जाता है।

गोवर्धन पूजा का धार्मिक अर्थ


गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब इंद्र देव के प्रकोप से ब्रजवासियों पर भारी वर्षा हुई, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षा की। यही घटना हमें यह संदेश देती है कि हमें अहंकार से मुक्त होकर प्रकृति और ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए।

गोवर्धन पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा की तिथि 21 अक्टूबर की शाम 5:54 बजे शुरू होकर 22 अक्टूबर रात 8:16 बजे तक रहेगी।

पूजन के मुख्य मुहूर्त —

  • सुबह: 6:26 से 8:42 तक
  • दोपहर: 3:29 से 5:44 तक
  • शाम: 5:44 से 6:10 तक

इन समयों में भगवान श्रीकृष्ण के गिरधारी स्वरूप की आराधना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

कैसे करें गोवर्धन पूजन

इस दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद घर या आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं। इसके चारों ओर पेड़-पौधों, ग्वाल-बालों और गायों की आकृतियां बनाकर सजाएं। पर्वत के बीच में श्रीकृष्ण की मूर्ति रखें और उनके सामने अन्नकूट का भोग लगाएं। इस भोग में गेहूं, चावल, कढ़ी, बाजरा, और हरी सब्जियों से बने व्यंजन शामिल होते हैं। पूजा के बाद कथा सुनें, प्रसाद बांटें और परिवार सहित भोजन करें।

क्या करें गोवर्धन पूजा के दिन

  1. गाय की पूजा करें: गौमाता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप मानकर तिलक लगाएं और हरा चारा खिलाएं।
  2. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें: गोबर से बने पर्वत की सात बार परिक्रमा शुभ मानी जाती है।
  3. अन्नकूट भोग चढ़ाएं: 56 प्रकार के भोग या अन्नकूट तैयार कर श्रीकृष्ण को अर्पित करें।
  4. सामूहिक पूजा करें: पूरे परिवार के साथ एकजुट होकर पूजन करें, जिससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है।

क्या न करें इस दिन

  • तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें।
  • तुलसी के पत्ते न तोड़ें और किसी भी पेड़ या पौधे को नुकसान न पहुंचाएं।
  • अन्न या प्रसाद की बर्बादी न करें।
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा को देखना भी अशुभ माना गया है।
  • काले या नीले वस्त्र पहनने से बचें।

गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति और अन्न के प्रति आभार का उत्सव है। ये पर्व हमें सिखाता है कि अन्न, पशु और पर्यावरण के बिना मानव जीवन अधूरा है। जब हम ईश्वर और प्रकृति का सम्मान करते हैं, तो जीवन में सुख-समृद्धि, धन और अन्न की कभी कमी नहीं रहती।

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