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Indira Ekadashi 2025: 17 सितंबर को किया जाएगा व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Indira Ekadashi 2025: एकादशी के व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। हिंदू वर्ष में 24 एकादशी तिथि आती हैं और उनमें एक इंदिरा एकादशी भी है। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस साल ये तिथि 17 सितंबर को होगी। आइए जानें पूजा का मुहूर्त और विधि

अपडेटेड Sep 15, 2025 पर 10:32 AM
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अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशन के रूप में जाना जाता है।

Indira Ekadashi 2025: जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि वष्णु को समर्पित एकादशी तिथि के व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है। एक हिंदू वर्ष में आमतौर पर 24 एकादशी तिथि आती है। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी तिथि पितृ पक्ष के दौरान आती है, इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध करने वालों के लिए यह खास दिन माना गया है। इंदिरा एकादशी व्रत करने से जीवन में शांति, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पितृपक्ष के दौरान यह व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ ही पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। इस साल एकादशी तिथि 17 सितंबर को है।

मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 17, 2025 मध्यरात्रि 12:21 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - सितम्बर 17, 2025 रात 11:39 बजे
  • पारण का समय - 18 सितंबर को सुबह 06:27 बजे से सुबह 08:53 बजे तक
  • पारण के दिन द्वादशी खत्म होने का समय – रात 11:24 बजे

पूजा विधि


  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और घर के पूजा स्थान को भी अच्छी तरह साफ करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। गंगा जल या साफ पानी से अभिषेक करें और चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप से पूजा करें।
  • विष्णु सहस्रनाम या उनके मंत्र का जप करें। पूजा के बाद भगवान विष्णुऔर माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • भगवान विष्णुको तुलसी जी और सात्विक भोग अर्पित करें।
  • व्रत रखने वाले भक्त पारण समय में अगले दिन व्रत खोलें।

पूजा सामग्री

भगवान विष्णुका चित्र/मूर्ति, तुलसी दल, पुष्प नारियल, सुपारी, फल, धूप, दीप, घी, अक्षत (चावल), पंचामृत, मिष्ठान

उपाय

  • संध्या समय पीपल के नीचे या नदी किनारे एक घी का दीपक जलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दीपक नकारात्मकता को दूर करता है।
  • गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या दक्षिणा दें। विशेषकर तिल, गुड़, फल और अनाज का दान शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने से कई गुना अधिक फल मिलता है।
  • ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें। हिंदू धर्म में मंत्र जप करनेका विशेष महत्व होता है।

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