कामदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पावन व्रत है, जिसे भक्त पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ रखते हैं। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि ये वर्ष की पहली एकादशी होती है, और मान्यता है कि इसका पालन करने से मनचाही कामनाओं की पूर्ति होती है। व्रत रखने के बाद अगले दिन, यानी 9 अप्रैल को पारण (व्रत खोलने की विधि) सुबह 06:02 से 08:34 बजे के बीच करना शुभ माना गया है। पारण का ये समय शास्त्रों के अनुसार सबसे उत्तम होता है क्योंकि इस समय द्वादशी तिथि विद्यमान रहती है।
इस दिन द्वादशी रात 10:55 बजे तक रहेगी, लेकिन पारण उसी शुभ मुहूर्त में करना चाहिए जो ब्रह्ममुहूर्त और सूर्योदय के बाद का समय हो। पारण के समय विशेष भोग, पंचामृत और फल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। सही समय पर व्रत खोलने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
व्रत पारण में क्या-क्या भोग लगाएं?
व्रत खोलते समय इन चीजों का भोग लगाना शुभ और पवित्र माना जाता है:
सूखे मेवे (बादाम, किशमिश आदि)
व्रत के दिन पूजा कैसे करें?
स्नान कर मंदिर की सफाई करें।
भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें, साथ ही गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
पीले फूल और चंदन अर्पित करें क्योंकि यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होते हैं।
दीपक जलाएं और घर का वातावरण पवित्र बनाएं।
यदि संभव हो तो संकल्प लेकर व्रत रखें।
कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
अंत में आरती करें और तुलसी दल के साथ भोग अर्पित करें।
क्षमा प्रार्थना करें ताकि यदि कोई त्रुटि हुई हो तो प्रभु क्षमा कर दें।
क्या करें शुभ फल पाने के लिए?
आज के दिन विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें।
मन और वाणी से पवित्रता बनाए रखें।
झूठ, हिंसा, और किसी भी तरह की नकारात्मकता से दूर रहें।
व्रत नियम – क्या करें, क्या नहीं?
कामदा एकादशी पर सत्य, संयम और भक्ति का पालन करें।
बुरे विचारों, क्रोध, लोभ और किसी भी गलत कार्य से बचें।
दिनभर ध्यान, पूजा और प्रभु स्मरण में समय बिताएं।