Kartik Purnima Kab Hai: कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान कर्म करने का विशेष महत्व माना जाता है। यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। इस दिन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से जहां भक्त पापमुक्त हो जाते हैं, वहीं इस एक पूर्णिमा पर पूरे साल की पूर्णिमा का पुण्य प्राप्त होता है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भद्रा काल रहेगा। भद्रा को शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और दान किस तरह किया जाएगा। आइए जानें
भद्रा काल का समय और प्रभाव
ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया रहने वाला है। द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा सुबह 6:36 बजे से शुरू हो कर सुबह 8:44 बजे तक रहेगी। हालांकि, भद्रा पृथ्वी लोक पर ना लगकर स्वर्गलोक में लगेगी। इसलिए किसी भी मांगलिक कार्य पर रोक नहीं लगेगी।
स्नान-दान का मुहूर्त- पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का कार्य ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है। इसका समय सुबह 4:52 बजे से शुरू होकर सुबह 5:44 मिनट तक रहेगा।
प्रदोषकाल देव दिवाली का मुहूर्त : शाम 5:15 बजे से शाम 7:51 मिनट तक रहेगा
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 4 नवंबर 2025, रात 10:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 5 नवंबर 2025, शाम 6:48 बजे
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र दिनों में से एक है, जो भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसके अलावा, हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में आतंक मचा रखा था। इस दिन देव दीपावली, गुरु नानक जयंती, गंगा स्नान, दीपदान, पुष्कर मेला जैसे कई महत्वपूर्ण पर्व भी मनाए जाते हैं। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश जैसे पवित्र स्थलों पर जाकर गंगा स्नान और दीपदान करते हैं।