Karwa Chauth For Unmarried Girl: करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। ये व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती तथा भगवान गणेश की आराधना करती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर के दिन किया जाएगा। इस दिन महिलाएं सुबह से शाम तक उपवास करेंगी। शाम को चंद्रमा के उदय होने के बाद उन्हें अर्घ्य देंगी और फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत पूर्ण करेंगी।
कुछ जगहों पर अविवाहित कन्याएं भी करवा चौथ् का व्रत करती हैं। कुंवारी कन्याएं करवा चौथ का व्रत सुयोग्य वर पाने की इच्छा से करती हैं। हालांकि उनके लिए व्रत के नियम थोड़ से अलग हैं। कुंवारी कन्याएं माता पार्वती का ध्यान करते हुए इस व्रत को करने का संकल्प ले सकती हैं। स्कंद पुराण, भविष्योत्तर पुराण, और कुछ अन्य धर्मग्रंथों में करक चतुर्थी व्रत का उल्लेख मिलता है। इन ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि यह व्रत पत्नियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और कल्याण हेतु किया जाना चाहिए। शास्त्रों में इस व्रत का उद्देश्य पति की रक्षा और सौभाग्य की स्थिरता बताया गया है। इसलिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती हैं। अगर कुंवारी कन्याएं व्रत करती हैं, तो उनके लिए नियम विवाहित महिलाओं से थोड़े अलग होते हैं।
करवा चौथ का व्रत केवल पति की लंबी उम्र के लिए नहीं, बल्कि यह विश्वास, धैर्य और रिश्तों में समर्पण का प्रतीक भी है। व्रत से न केवल मानसिक संतोष मिलता है बल्कि यह रिश्तों में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।
अविवाहित लड़कियों को भी करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। पहले माता करवा की कथा सुनी जाती है और फिर पूजा की जाती है। यह पूजा परिवार में सुख-शांति और रिश्तों में मधुरता लाती है।
अविवाहित लड़कियों के लिए व्रत को हल्का रखना और फलाहारी रखना ज्यादा उचित होता है। फल, खजूर, दूध और हल्का खाना रखकर भी व्रत का महत्व पूरा होता है।
भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने न्यूज 18 को बताया कि अविवाहित लड़कियों के लिए निर्जला व्रत करन की बाध्यता नहीं है। आप फल, दूध या हल्का भोजन कर सकती हैं।
विवाहित महिलाएं जहां चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं तारों को अर्घ्य दे कर व्रत पूरा कर सकती हैं। इसके लिए छलनी आदि का उपयोग करना जरूरी नहीं है।