Karwa Chauth Puja Muhurat Time: पहले से करके रखें पूजा की तैयारी, बस इतनी देर का मिलेगा शुभ मुहूर्त
Karwa Chauth Muhurat Time: करवा चौथ का दिन हिंदू विवाहित महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त बहुत कम देर के लिए मिल रहा है। इसलिए पूजा की तैयारी पहले से करना अच्छा रहेगा।
इस साल करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र लगने के साथ ही सिद्धि योग भी बन रहा है।
Karwa Chauth Muhurat Time: करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। ये व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत करती है। इस दिन दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर निर्जला व्रत शुरू करती हैं और शाम को चंद्रमा निकलने पर उसका दर्शन करती हैं और उसे अर्घ्य देती हैं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन चंद्र देव का प्रिय रोहिणी नक्षत्र लगने के साथ ही सिद्धि योग भी बन रहा है। मगर, इस साल पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त काफी कम समय का मिल रहा है। पूजा को शुभ मुहूर्त में करने के लिए पहले से इसकी तैयार करना अच्छा रहेगा।
9 अक्टूबर से लग रही चतुर्थी तिथि
इस साल चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 07:38 बजे तक रहेगी। इसके साथ ही इस साल करवा चौथ पर शाम 05:32 बजे से रोहिणी नक्षत्र लग रहा है, जबकि शाम 05:41 बजे तक सिद्धि योग बन रहा है।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त : शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक
करवा चौथ : सिर्फ 1 घंटे 14 मिनट का मुहूर्त
पूजा के मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:40 बजे से सुबह 05:30 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दिन में 11:45 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:04 बजे से दोपहर 02:51 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:57 बजे से शाम 06:22 बजे तक
अमृत काल : शाम 03:22 बजे से शाम 04:48 बजे तक
निशिता मुहूर्त : रात 11:43 बजे से 11 अक्टूबर, मध्यरात्रि 12:33 बजे तक
लाभ-उन्नति : सुबह 07:46 बजे से सुबह 09:13 बजे तक
चर : सामान्य शाम 04:30 बजे से शाम 05:57 बजे तक
चंद्रोदय का समय
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय रात 08:13 बजे तक है। शहर के अनुसार, चांद दिखने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।
पूजा-विधि : पूजा स्थान पर शिव-पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय को स्थापित कर विधि-विधान से उनकी पूजा करें। इसके बाद व्रत की कथा सुनें। करवा, चलनी, थाली, लोटा सहित अन्य सामग्री से पूजन करें। चंद्र देव को अर्घ्य दें। इस दौरान चलनी से अपने पति को देख आरती उतारें, फिर उनके हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का समापन करें।