Mandir Vastu Tips घर के मंदिर में ये रंग कराना देता है शुभ फल, जानें मंदिर से जुड़े वास्तु के ये नियम

Mandir Vastu Tips घर में मंदिर का रंग, उसकी दिशा और मूर्तियों का आकार जैसे वास्तु के कुछ नियम हैं। इन नियमों के अनुसार अगर मंदिर की साज-सज्जा की जाए, तो शुभ फल कई गुना बढ़ जाता है। मंदिर से जुड़े वास्तु के ये नियम काफी मददगार हैं जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में।

अपडेटेड Nov 08, 2025 पर 11:59 PM
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घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए।

Mandir Vastu Tips: घर के मंदिर का बहुत गहरा प्रभाव होता है। ये हमार धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां हम भले ही पूरे दिन में सिर्फ दो मिनट बिताएं, मगर ये पूरे दिन का सबसे अहम अवसर होता है। इसमें भक्त और भगवान एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं। इसलिए इसका वास्तु का बहुत ध्यान रखना चाहिए। भारतीय संस्कृति में भी पूजा घर का विशेष स्थान है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि पूजा घर को सही दिशा, स्थान और नियमों के अनुसार बनाया जाए, तो घर में शांति, समृद्धि और सुख-शुभता का वास होता है। इससे न केवल सकारात्मकता बनी रहती है, बल्कि परिवारजनों को मानसिक शांति मिलती है और ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। आइए जानें मंदिर के बारे में क्या कहते हैं वास्तु के नियम

ईशान कोण है पूजा घर की शुभ दिशा : वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर के लिए सबसे उत्तम दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) होती है। इसका संबंध भगवान शिव और जल तत्व से माना जाता है। अगर यह दिशा उपलब्ध न हो, तो पूर्व दिशा में भी मंदिर बना सकते हैं। पूजा करते समय व्यक्ति का मुख भी पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए, इससे एकाग्रता आती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा घर का स्थान और बनावट : पूजा घर को कभी भी शौचालय, बाथरूम या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। मंदिर को हमेशा जमीन से कुछ ऊंचाई पर रखें और उसके नीचे किसी भी प्रकार का सामान स्टोर न करें। मंदिर की दीवार पर लकड़ी की पीठ या प्लेटफार्म लगाया जा सकता है।

मूर्तियों का आकार : मंदिर में स्थापित मूर्तियां 9 इंच से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए और उन्हें दीवार से थोड़ा दूर रखें ताकि पीछे की ओर हवा का प्रवाह बना रहे। खंडित या टूटी हुई मूर्तियों को तुरंत मंदिर से हटा देना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं। भगवान की मूर्तियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए। एक ही देवता की कई मूर्तियों को एकसाथ न रखें।

मंदिर का रंग और सजावट : पूजा घर के रंग हल्के और शुभ होने चाहिए, जैसे कि सफेद, हल्का पीला, गुलाबी या क्रीम। गहरे या काले रंगों से बचना चाहिए क्योंकि ये मन और वातावरण पर भारी प्रभाव डालते हैं। मंदिर में धूपबत्ती, दीपक, शंख और घंटी की व्यवस्था अवश्य करें।

किचन या बेडरूम में न बनाएं पूजा घर : मंदिर को किचन या बेडरूम में नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करना जरूरी हो तो मंदिर को लकड़ी की अलमारी में बनाकर उसे पर्दे से ढक सकते हैं। पूजा स्थान में कभी भी जूते-चप्पल लेकर न जाएं और वहां मोबाइल फोन या अन्य ध्यान भटकाने वाली वस्तुएं न रखें। पूजा घर को हमेशा स्वच्छ और सुगंधित बनाए रखें।


डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सामग्री जानकारी मात्र है। हम इसकी सटीकता, पूर्णता या विश्वसनीयता का दावा नहीं करते। कृपया किसी भी कार्रवाई से पहले विशेषज्ञ से संपर्क करें

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