Rahu Gochar 2026: राहु ग्रह को छाया ग्रह माना जाता है या ये अन्य ग्रहों की तरह नहीं है। ये और केतु छाया ग्रह होकर भी ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान रखते हैं। पूर्ण ग्रह न हो कर भी इनका गोचर बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय राहु कुंभ राशि में है। राहु और केतु दोनों ही ग्रह बहुत धीमी चाल से चलते हैं और ये एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 18 महीने का समय लगाते हैं।
इस समय ये कुंभ राशि में है और अगले साल यानी 2026 के दिसंबर महीने तक ये इसी राशि में रहेगा। इसके बाद ये मकर राशि में गोचर करेगा। फिलहाल राहु ने शुक्र के साथ मिल कर एक शक्तिशाली और दुर्लभ राजयोग का निर्माण किया है। आइए जानें ये किन राशियों के लिए अच्छा होगा और इस ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से बचने क्या उपाय कर सकते हैं।
शुक्र के साथ बनाया नवपंचम राजयोग
राहु ग्रह ने शुक्र ग्रह के साथ बहुत शक्तिशाली और दुर्लभ राजयोग का निर्माण किया है। ज्योतिष में यह योग तब बनता है जब भाग्य के नवम भाव और बुद्धि व रचनात्मकता के पंचम भाव के स्वामी या संबंधित ग्रह एक-दूसरे के साथ अनुकूल स्थिति में आते हैं। यह संयोग जीवन में भाग्य वृद्धि, समृद्धि, सफलता और आकस्मिक लाभ के अवसर देता है। इस समय शुक्र अपनी स्वराशि तुला में हैं, जबकि राहु कुंभ में हैं। इनका ये संयोग तुला, कुंभ और धनु राशियों के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगा।
तुला राशि : इस समय तुला राशि के लग्न में शुक्र और पंचम भाव में राहु विराजमान हैं, जिससे नवपंचम राजयोग बन रहा है। इस संयोग से कार्यक्षेत्र और करियर में उन्नति के योग बन रहे हैं।
धनु राशि : धनु राशि के लिए राहु–शुक्र का नवपंचम राजयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। राहु तृतीय भाव में और शुक्र एकादश भाव में हैं, जो साहस, प्रयास और लाभ के संकेत दे रहे हैं।
मायावी ग्रह राहु 05 दिसंबर 2026 को राशि परिवर्तन करेंगे। राहु वक्री चाल चलकर कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। इस दिन से मकर राशि के जातकों पर राहु का प्रभाव रहेगा।
राहु की कुदृष्टि से मुक्ति पाने के लिए हर सोमवार और शनिवार को गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। अपनी सामर्थ्यानुसार काले और सफेद चीजों का दान करें।
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