Ekadashi Vrat 2025 Shuru krne ke Niyam: एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ये व्रत प्रत्येक हिंदू मास में दो बार किया जाता है, एक बार कृष्ण पक्ष और उसके बाद शुक्ल पक्ष में। इस तरह एक साल में 24 एकादशी तिथियां आती हैं। लेकिन एकादशी व्रत को यूं ही किसी भी दिन से शुरू नहीं कर सकते हैं। इसे शुरू करने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए क्या जाता है।
एकादशी व्रत करने से पाप, दुख, रोग, दोष आदि मिटते हैं, पितृ दोष की शांति होती है, पितरों का उद्धार होता है और जीवन के अंत में मोक्ष मिलता है। एकादशी व्रत करने वालों को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। आप भी अगर एकादशी व्रत करना चाहते हैं, तो इसे करने का शुभ समय आ चुका है। आइए जानें इसे कब से शुरू करना ठीक होगा और इसके क्या नियम हैं?
एकादशी व्रत शुरू करने का समय अब
एकादशी व्रत की शुरूआत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से करनी चाहिए। मार्गशीर्ष माह को अगहन भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी व्रत उत्पन्ना एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है।
क्यों शुरू करते हैं उत्पन्ना एकादशी से व्रत?
इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर शनिवार को है। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि 15 नवंबर को मध्यरात्रि 12:49 बजे से लेकर 16 नवंबर को 02:37 बजे तक है। इसी दिन से एकादशी व्रत शुरू कर सकते हैं।
एकादशी व्रत की शुरूआत करने वाले व्यक्ति को दो दिन पहले से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज और तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।