Ekadashi Vrat 2025 Shuru krne ke Niyam: एकादशी व्रत शुरू करने लिए यह अवसर होता है सबसे उत्तम, जानें क्या हैं इसके नियम?

Ekadashi Vrat 2025 Shuru krne ke Niyam: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। लेकिन इन व्रत को शुरू करने का भी नियम है। इस व्रत को करने वाले भक्तों को श्री हरि की कृपा से कष्टों से मुक्ति मिलती है और वैकुंठ धाम में उन्हें स्थान मिलता है। आइए जानें इस व्रत को करने के नियम

अपडेटेड Nov 08, 2025 पर 4:44 PM
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है। एकादशी व्रत करने वालों को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है।

Ekadashi Vrat 2025 Shuru krne ke Niyam: एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ये व्रत प्रत्येक हिंदू मास में दो बार किया जाता है, एक बार कृष्ण पक्ष और उसके बाद शुक्ल पक्ष में। इस तरह एक साल में 24 एकादशी तिथियां आती हैं। लेकिन एकादशी व्रत को यूं ही किसी भी दिन से शुरू नहीं कर सकते हैं। इसे शुरू करने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए क्या जाता है।

एकादशी व्रत करने से पाप, दुख, रोग, दोष आदि मिटते हैं, पितृ दोष की शांति होती है, पितरों का उद्धार होता है और जीवन के अंत में मोक्ष मिलता है। एकादशी व्रत करने वालों को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। आप भी अगर एकादशी व्रत करना चाहते हैं, तो इसे करने का शुभ समय आ चुका है। आइए जानें इसे कब से शुरू करना ठीक होगा और इसके क्या नियम हैं?

एकादशी व्रत शुरू करने का समय अब

एकादशी व्रत की शुरूआत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से करनी चाहिए। मार्गशीर्ष माह को अगहन भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी व्रत उत्पन्ना एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है।

क्यों शुरू करते हैं उत्पन्ना एकादशी से व्रत?

पौराणिक कथा के अनुसार, मार्गशीर्ष एकादशी तिथि को देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, उन्होंने विश्राम कर रहे भगवान विष्णु की रक्षा दैत्य मुर से की थी। देवी एकादशी के हाथों मुर मारा गया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उस देवी से कहा कि आपकी उत्पत्ति एकादशी को हुई है, इसलिए एकादशी के दिन आपकी भी पूजा की जाएगी। यह एकादशी उत्पन्ना एकादशी कहलाएगी। इस वजह से उत्पन्ना एकादशी के दिन से एकादशी व्रत का शुभारंभ करना उत्तम माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी के अलावा आप चैत्र, वैशाख और माघ माह की एकादशी से भी एकादशी व्रत का शुभारंभ कर सकते हैं।


इस साल उत्पन्ना एकादशी

इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर शनिवार को है। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि 15 नवंबर को मध्यरात्रि 12:49 बजे से लेकर 16 नवंबर को 02:37 बजे तक है। इसी दिन से एकादशी व्रत शुरू कर सकते हैं।

एकादशी व्रत के नियम

एकादशी व्रत की शुरूआत करने वाले व्यक्ति को दो दिन पहले से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज और तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।

  • एकादशी व्रत के दिन सुबह स्नान करके व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प लें।
  • शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा करें।
  • उस समय एकादशी व्रत कथा जरूर सुनें।
  • एकादशी व्रत निर्जला नहीं है, इसमें पूरे दिन फलाहार करते हैं।
  • कुछ भक्त एकादशी व्रत में रात्रि जागरण करते हैं और भजन, कीर्तन, नाम जप आदि करना उत्तम रहता है।
  • हरि वासर के समापन के बाद द्वादशी तिथि में एकादशी व्रत का पारण किया जाता है।
  • एकादशी व्रत के पारण से पूर्व किसी ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार दान करना चाहिए।
  • आप पूरे 12 माह यानि 24 एकादशी तक कर सकते हैं। उसके बाद एकादशी व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।

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