Credit Cards

Karwa Chauth 2025: पहली बार कर रही हैं व्रत, तो जरूर जान लीजिए करवा चौथ के ये नियम

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत अहम होता है। इस व्रत के कुछ अहम नियम हैं, जिनके बारे में पहली बार व्रत करने वाली महिलाओं के लिए जानना जरूरी है। आइए जानते हैं कि करवा चौथ पर कौन-कौन से नियम जरूरी हैं और क्या करने से व्रत खंडित हो सकता है?

अपडेटेड Oct 08, 2025 पर 7:00 AM
Story continues below Advertisement
करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है।

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत में स्त्रियां अपने सुखी दांपत्य और पति की लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल उपवास करती हैं। इसे हिंदू धर्म के कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। ये व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस साल ये व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा का विधान है। व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग अखंड रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति, समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़े जरूरी नियमों के बारे में

ये करना है जरूरी

सबसे पहले सरगी

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले, एक विशेष भोजन सरगी से होती है। ये पति की मां यानी सास द्वारा प्यार से तैयार की गई एक थाली है, जिसमें फल, मिठाइयां और सूखे मेवे, मीठी मठरी और फीकी मठरी शामिल होते हैं। इसके अलावा इसमें सुहाग का सामान और सास की ओर से कोई विशेष उपहार होता है। सरगी खाने से यह सुनिश्चित होता है कि आपको पूरे दिन उपवास रखने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिले।

16 श्रृंगार करें

पारंपरिक तरीके से तैयार होना यानी 16 श्रृंगार धारण करना करवा चौथ का एक अनिवार्य हिस्सा है। ज्यादातर महिलाएं लाल, मैरून या गुलाबी रंग चुनती हैं, जो प्रेम और समृद्धि का प्रतीक हैं। सिंदूर, चूड़ियां, आभूषण और मेहंदी के साथ अपने लुक को पूरा करें, जिन्हें वैवाहिक सुख का शुभ प्रतीक माना जाता है।


करवा चौथ की कथा जरूर सुनें

शाम को, महिलाएं करवा चौथ पूजा के लिए एकत्रित होती हैं, जहां वे करवा चौथ की कथा सुनती हैं और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। यह अनुष्ठान आध्यात्मिक जुड़ाव को बढ़ाता है और व्रत रखने वाली महिलाओं के बीच एकता की भावना लाता है।

चंद्रोदय के बाद व्रत खोलें

इस दिन सबसे ज्यादा इंतजार चंद्रोदय का होता है। महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं, फिर उसी छलनी से अपने पति को देखती हैं, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। फिर पति के हाथ से पानी पीकर और मीठा खाकर व्रत का पारण करती हैं। ये रस्म दोनों के बीच प्रेम और आपसी विश्वास का प्रतीक मानी जाती है।

ये भूल से भी न करें

बिना सरगी के व्रत

बिना सरगी के व्रत नहीं करना चाहिए, क्योंकि चंद्रोदय तक यही आपका एकमात्र भोजन है। पौष्टिक सरगी आपकी ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती है और लंबे उपवास के दौरान थकान से बचाती है।

व्रत के दौरान कुछ भी खाने-पीने से बचें

करवा चौथ एक निर्जला व्रत है, जिसका अर्थ है कि पूरे दिन कुछ भी न खाया जाए और न ही पिया जाए। बीच में कुछ खाने से इस अनुष्ठान का आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व कम हो सकता है।

काला या सफेद रंग की चीजों से दूर रहें

करवा चौथ पर काले या सफेद रंग के कपड़े या चूड़ी-बिंदी पहनने से बचें। ये रंग पारंपरिक रूप से अशुभ माने जाते हैं। त्योहार वाले शुभ रंग चुनें, जो सकारात्मकता और खुशी का प्रतीक हैं।

अपनी सेहत का भी ध्यान रखें

आस्था अपनी जगह है लेकिन अपनी सेहत हमेशा सबसे पहले होनी चाहिए। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो कठोर उपवास रखने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

Ahoi Ashtami 2025: अहोई माता को प्रसन्न करने के लिए भोग में जरूर अर्पित करें ये 7 चीजें, संतान को मिलेगा निरोगी जीवन का आशीर्वाद

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।