कोलकाता के तंगरा इलाके में एक बेहद खास मंदिर है, जो दिखने में तो आम मंदिर जैसा लगता है, लेकिन इसकी परंपराएं इसे सबसे अलग बनाती हैं। यहां देवी काली की पूजा होती है, लेकिन खास बात ये है कि प्रसाद में लड्डू या हलवा नहीं, बल्कि मोमो, चाउमीन और फ्राइड राइस जैसे चाइनीज व्यंजन चढ़ाए जाते हैं। ये मंदिर भारतीय और चीनी संस्कृति का अनोखा मेल है, जहां दोनों समुदायों की परंपराएं एक-दूसरे में घुलमिल गई हैं। यहां न सिर्फ हिंदू भक्त आते हैं, बल्कि स्थानीय चीनी लोग भी बड़ी श्रद्धा से पूजा करते हैं।
मंदिर की दीवारों और छतों पर भी चीनी संस्कृति की झलक दिखाई देती है। हर शाम यहां आरती होती है और त्योहारों पर खास आयोजन भी होते हैं। ये मंदिर सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और मेलजोल का भी खूबसूरत उदाहरण है।
कैसे हुई इस अद्भुत मंदिर की शुरुआत?
करीब 65 साल पहले, एक चीनी परिवार का बच्चा गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। तमाम इलाज बेअसर हो चुके थे। आखिरी उम्मीद के तौर पर, माता-पिता उसे पास के एक पेड़ के नीचे बनी काली मां की प्राचीन वेदी पर ले गए और प्रार्थना की। चमत्कारिक रूप से बच्चा ठीक हो गया। इसे देवी का आशीर्वाद मानकर उस परिवार ने वहां एक मंदिर बनवाया, और तब से ये स्थल आस्था का केंद्र बन गया।
यहां होती है चीनी-हिंदू सभ्यता की अनोखी संगति
यह मंदिर कोलकाता के उस क्षेत्र में है जिसे “चाइना टाउन” कहा जाता है। 18वीं सदी के अंत में यहां बसे चीनी प्रवासियों की पीढ़ियां अब भी यहां रहती हैं। मंदिर के द्वार पर चीनी और अंग्रजी दोनों में लिखा है — "Chinese Kali Temple"। अंदर आपको देवी काली की मूर्ति के साथ-साथ चीनी ड्रैगन और फीनिक्स की छवियां भी देखने को मिलेंगी।
पूजा करते हैं बंगाली पुजारी, झुकाते हैं सिर चीनी भक्त
हर शाम एक बंगाली पुजारी मंदिर में आरती और अनुष्ठान कराता है। दिलचस्प बात ये है कि यहां पूजा में शामिल होने वालों में बड़ी संख्या चीनी समुदाय की होती है। वे भी उतनी ही श्रद्धा से मां काली के आगे सिर झुकाते हैं, जैसे कोई हिंदू भक्त।
बुरी आत्माओं को भगाने की परंपरा
यहां चीनी परंपराओं की झलक भी साफ दिखती है। श्रद्धालु चीनी अगरबत्तियां जलाते हैं और हाथ से बनाए गए कागज भी जलाते हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि वे बुरी आत्माओं को दूर भगाते हैं। दीपावली और दुर्गा पूजा जैसे भारतीय त्योहारों को भी चीनी शैली में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
जब प्रसाद में मिलता है मोमो और नूडल्स
इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां पारंपरिक लड्डू या हलवा की जगह भोग में चाइनीज डिशेस चढ़ाई जाती हैं। मोमो, चाउमीन, फ्राइड राइस, चॉपसी—ये सभी चीजें देवी को चढ़ाई जाती हैं और बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटी जाती हैं।
ये मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि यह दिखाता है कि श्रद्धा सीमाओं और परंपराओं से परे होती है। यहां न जाति, न भाषा, न संस्कृति—सिर्फ आस्था की गूंज सुनाई देती है। कोलकाता का यह मंदिर वास्तव में साबित करता है कि भारत की विविधता में एकता की मिसालें हर मोड़ पर मिलती हैं—कभी मोमो में, कभी मां काली के दरबार में।