Krishna Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ने भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में राजा कंस के कारागार में बंद वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। उनके जन्म के समय कई सारी रहस्यमयी घटनाएं घटी थीं, जैसे जेल के दरवाजे अपने आप खुल गए थे। सारे द्वारपाल सहित गुप्तचर और राजा कंस सो गए थे। इसी दौरान वासुदेव कृष्ण को एक टोकरी में रखकर गोकुल नंद के घर छोड़ आए थे। इसी दिन की याद में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल इनका 5252वां जन्मदिन मनाया जाएगा।
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 16 अगस्त, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को रोहिण नक्षत्र में हुआ था। देश-दुनिया में कृष्ण मंदिरों में भव्य आयोजन, पूजा, कीर्तन और झांकियां सजती हैं। कहीं-कहीं पर शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं। कृष्ण को श्रीहरि विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाता है। इनके जन्म ही नहीं जीवनकाल से जुड़ी अनेकों कहानियां प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक कहानी है असली और नकली कृष्ण की, जो हमें सिखाती है कि जीवन में किसी से प्रेरित होना अच्छा है, लेकिन उसकी नकल ठीक नहीं है। महाभारत के अनुसार, काशी के आसपास के क्षेत्रों में राज करने वाले पौंड्रक नाम के एक राजा थे। ये खुद को असली कृष्ण बताते थे और उनकी पूजा करने के लिए कहते थे।
राजा पौंड्रक के बारे में कहा जाता है कि उनके पिता का नाम भी वासुदेव था। वह खुद को असली भगवान कृष्ण बताते थे और अपने राज्य में सबसे अपनी पूजा करने के लिए कहते थे। खुद को कृष्ण साबित करने में वो इतना डूबे हुए थे कि उन्होंने अपनी वेशभूषा से लेकर बात-व्यवहार तक कृष्ण के जैसा बना लिया था। उनकी तरह पीतांबर पहना, कौस्तुभ मणि, मोरपंख और सुदर्शन चक्र भी माया से रच लिया था।
एक बार उन्होंने श्रीकृष्ण को चुनौती दी कि या तो वह उनसे युद्ध करें या मथुरा छोड़ दें। जब श्रीकृष्ण को ये बात पता चली तो उन्होंने युद्ध की चुनौती को स्वीकार कर लिया। दोनों जब रणभूमि पहुंचे तो कृष्ण ने देखा कि पौंड्रक तो बिलकुल उनकी तरह नजर आ रहा है। वही पीतांबर वस्त्र, कौस्तुभ मणि और मोरपंख के साथ ही सुदर्शन चक्र भी। लेकिन जैसे सदा से होता आया है कि अच्छा के सामने बुराई एक पल भी नहीं टिकती है और असली के सामने नकली का वजूद नहीं होता है। उसी तरह कृष्ण के सामने पौंड्रक का दिखावा एक पल भी नहीं टिक पाया। कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से पौंड्रक की माया का अंत कर दिया।