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मंदिर दर्शन के बाद सीढ़ियों पर बैठना क्यों होता है जरूरी? जानिए वजह

सनातन धर्म में मंदिर जाना केवल पूजा तक सीमित नहीं है। पूजा के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर बैठना भी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मंदिर की सीढ़ियां भगवान के चरणों की तरह होती हैं। यहां बैठकर देवता को याद करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं और मानसिक शांति मिलती है

अपडेटेड Aug 12, 2025 पर 2:53 PM
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मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर भक्त अपने मन की सारी व्याकुलता और चिंताओं को दूर कर पाते हैं।

सनातन धर्म में मंदिर जाना केवल भगवान के दर्शन और पूजा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूजा के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर बैठना भी बेहद शुभ माना जाता है। ये परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन इसके पीछे छिपा आध्यात्मिक रहस्य कई लोगों को पता नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार, मंदिर का शिखर भगवान का मुख है और मंदिर की सीढ़ियां उनकी चरण पादुका के समान मानी जाती हैं। इसलिए, जब भक्त पूजा के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ देर बैठते हैं, तो वो सीधे भगवान के चरणों के समीप होते हैं। इस समय उनका मन शांति पाता है और वे अपने ईष्ट देवता को स्मरण करते हुए अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करते हैं।

ऐसा करने से माना जाता है कि इच्छाएं जल्दी पूरी होती हैं और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। इसलिए मंदिर की सीढ़ियों पर बैठना न केवल एक परंपरा है, बल्कि ये आत्मा और मन की शांति का भी माध्यम है।

मंदिर की सीढ़ियों पर बैठने का महत्व


लोगों का मानना है कि मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ समय बैठना, भगवान के चरणों के पास होने जैसा होता है। ये आध्यात्मिक शांति और मन की शुद्धि का माध्यम बनता है। मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर भक्त अपने मन की सारी व्याकुलता और चिंताओं को दूर कर पाते हैं। ये समय भगवान के साथ मन की बातचीत का होता है, जो ईश्वर से जुड़ाव को मजबूत बनाता है।

बैठकर पढ़ें ये मंत्र

मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर यदि आप एक विशेष श्लोक का जाप करें, तो ये आपकी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने में सहायक होता है। ये श्लोक मन को शुद्ध करता है और आपको आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। श्लोक का अर्थ है कि आपको बिना किसी दुख के जीवन मिले और मृत्यु आपके सान्निध्य में आए। इस श्लोक का जाप करते समय मन में भगवान की भक्ति और श्रद्धा होनी चाहिए।

श्लोक संस्कृत में

अनायासेन मरणम्, बिना दैन्ये जीवनम्।

देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम्।।

मंदिर की सीढ़ियों पर बैठने की परंपरा 

ज्यादातर लोग मंदिर जाकर जल्दी से पूजा पूरी कर लौट जाते हैं, लेकिन जो लोग मंदिर की सीढ़ियों पर थोड़ी देर बैठकर भगवान के स्मरण में लीन रहते हैं, वे आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते हैं। ये प्रथा न केवल हमारे शास्त्रों में वर्णित है, बल्कि मानसिक शांति और तनाव से राहत पाने का भी सशक्त तरीका है। इसलिए अगली बार जब आप मंदिर जाएं, तो पूजा के बाद थोड़ी देर मंदिर की सीढ़ियों पर बैठना न भूलें ये आपके जीवन में सुख-शांति और सफलताएं लाने वाला एक छोटा सा आशीर्वाद हो सकता है।

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