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Nag Pancham 2025: हर साल जन्माष्टमी से तीन दिन पहले गुजरात में मनाया जाता है ये त्योहार, जानें पूजा मुहूर्त और विधि

Nag Pancham का त्योहार गुजरात कैलेंडर के अनुसार हर साल जन्माष्टमी से तीन दिन पहले मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पौराणिक कथाओं में प्रचलित नाग देवताओं की पूजा की जाती है और कुछ भक्त व्रत-अनुष्ठान भी करते हैं।

अपडेटेड Aug 12, 2025 पर 1:53 PM
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गुजरात प्रांत और गुजराती समुदाय के लोग 13 अगस्त 2025, बुधवार को नाग पंचम का पर्व मनाएंगे।

हमारे देश में पूरे साल में कई पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं। हमारा देश विविधतापूर्ण है और इसका असर त्योहारों पर भी देखने को मिलता है। अब नाग पंचमी का त्योहार ही ले लीजिए। उत्तर भारत में ये त्योहार जहां सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, वहीं पश्चिमी प्रांत गुजरात में इसे भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। दरअसल, गुजराती कैलेंडर में, चंद्र मास अमावस्या के बाद शुरू होता है। इसलिए उत्तर भारतीय राज्यों में मान्य पूर्णिमांत कैलेंडर के हिसाब से, गुजरात में नाग पंचम भाद्रपद माह में मनाया जाता है। जबकि ज्यादातर भारतीय राज्यों में नाग पंचम को नाग पंचमी के रूप में जाना जाता है। यह श्रावण मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाते हैं, जो नाग पंचम से 15 दिन पहले होती है।

जन्माष्टमी से तीन दिन पहले होता है नाग पंचम

देश के पश्चिमी प्रांत गुजरात में नाग पंचमी के त्योहार को नाग पंचम नाम से मनाते हैं। गुजराती कैलेंडर के अनुसार यह श्रावण मास की कृष्ण पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। नाग पंचम कृष्ण जन्माष्टमी से तीन दिन पहले मनाया जाता है।

नाग देवता को समर्पित पर्व

नाग पंचमी की तरह नाग पंचम का दिन भी नाग देवता को समर्पित है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वासुकी, आदिशेष और अनंत आदि असंख्य नाग देवताओं की पूजा की जाती है। भक्त नाग पंचम पर उपवास रखते हैं और आमतौर पर नाग पूजा के बाद इसे तोड़ते हैं।

इस दिन होगी नाग पंचम की पूजा और व्रत


इस साल गुजरात प्रांत और गुजराती समुदाय के लोग 13 अगस्त 2025, बुधवार को नाग पंचम का पर्व मनाएंगे। इस दिन पंचमी तिथि 13 अगस्त सुबह से लग रही है और अगले दिन यानी 14 अगस्त को तड़के समाप्त होगी। इसलिए नाग पंचम का व्रत और पूजा 13 अगस्त को किया जाएगा।

पंचमी तिथि शुरु - 13 अगस्त 2025 सुबह 06:35 बजे

पंचमी तिथि समाप्त - 14 अगस्त 2025 सुबह 04:23 बजे

पूजा मुहूर्त - सुबह 06:35 बजे से सुबह 08:28 बजे तक

अवधि - 01 घंटा 52 मिनट

इन मंत्रों के साथ करें पूजा

सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥

ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।

ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

अर्थ : इस धरती, आसमान, स्वर्ग, सूरज की किरणों, नदियों, कुओं, तालाबों में रहने वाले नागों को हम प्रणाम करते हैं और ये सभी हमें आशीर्वाद दें।

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।

शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।

तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

अर्थ : नौ नाग देवताओं अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया के नाम का का अगर रोज सुबह नियमित रूप से जाप किया जाए, तो ये सभी बुराइयों से बचाएंगे और जीवन में विजयी बनाएंगे।

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