Credit Cards

Mahalaya Amavasya 2025: पितृ पक्ष के समापन पर जरूर करें ये 11 काम, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

Mahalaya Amavasya 2025: महालया अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन पूर्वजों को विदाई दी जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। लोग तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह दिन परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला माना जाता है

अपडेटेड Sep 21, 2025 पर 8:22 AM
Story continues below Advertisement
Mahalaya Amavasya 2025: दिन की शुरुआत जल्दी उठकर पवित्र स्नान से करें।

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का आखिरी दिन यानी महालया अमावस्या बेहद खास माना जाता है। ये दिन पूर्वजों को याद करने और उन्हें विदाई देने के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि इन दिनों पितृ अपने वंशजों के घर आते हैं और आशीर्वाद देकर वापस पितृलोक लौटते हैं। महालया अमावस्या पर तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, घर की सफाई करते हैं और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

ब्राह्मण भोज और जरूरतमंदों को दान करके लोग पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन किए गए कर्मों से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। महालया अमावस्या हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देती है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या तिथि शुरू: 21 सितंबर 2025, रात 12:16 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 22 सितंबर 2025, रात 01:23 बजे
  • कुतुप मुहूर्त: 11:50 AM से 12:38 PM
  • रोहिणी मुहूर्त: 12:38 PM से 01:27 PM
  • अपराह्न काल: 01:27 PM से 03:53 PM


इन शुभ समय में पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करना सबसे उत्तम माना जाता है।

पितृ पक्ष का महत्व और महालया अमावस्या

हिंदू शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। महालया अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन व वापस अपने लोक यानी पितृलोक लौट जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इन दिनों पूरे श्रद्धा से पितरों का पूजन और तर्पण करते हैं, उन्हें पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। ये आशीर्वाद परिवार में सुख, शांति और स्वास्थ्य लेकर आता है।

महालया अमावस्या पर करने योग्य धार्मिक कार्य

महालया अमावस्या केवल एक तिथि नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता जताने का दिन है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना बेहद शुभ माना जाता है। ये दिन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और हमें ये याद दिलाता है कि पूर्वजों का सम्मान और आशीर्वाद हमारे जीवन के लिए जरूरी है।

पूजन और श्राद्ध विधि

सुबह स्नान: दिन की शुरुआत जल्दी उठकर पवित्र स्नान से करें।

घर की सफाई: पूजा स्थान और पूरे घर को साफ करें।

ब्राह्मण आमंत्रण: परिवार का पुरुष सदस्य ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित करे।

सात्त्विक भोजन बनाना: महिलाएं ब्राह्मण भोज के लिए सात्त्विक भोजन तैयार करें।

तर्पण करना: ब्राह्मण के आने पर पुरुष सदस्य पंडित की मदद से तर्पण करें।

ब्राह्मण भोजन: महिलाएं ब्राह्मणों को प्रेम से भोजन कराएं।

दक्षिणा और वस्त्र दान: भोजन के बाद उन्हें वस्त्र, जूते और दक्षिणा देकर विदा करें।

आशीर्वाद लेना: उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें लेकिन उन्हें घर से बाहर छोड़ने न जाएं।

पशु-पक्षियों को भोजन: कुत्तों, गायों और कौवों को भोजन दें।

स्वयं भोजन करना: सभी कर्म पूरे करने के बाद परिवार भोजन करे।

जरूरतमंदों को दान: गरीबों, बच्चों और बुजुर्गों को भोजन और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।

पीपल पूजन: महिलाएं मंदिर जाकर पीपल वृक्ष को जल, दूध और शक्कर से सींचें, फिर उसके नीचे घी का दीपक जलाएं।

Mahalaya 2025: मां दुर्गा के आगमन का संकेत है महालया, जानिए क्या है इसका नवरात्र से संबंध और महत्व

Anchal Jha

Anchal Jha

First Published: Sep 21, 2025 8:22 AM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।