Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर रहेगा भद्रा का साया, जानें किस दिन किया जाएगा व्रत और क्या होगी पूजा विधि?

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। इस दिन स्नान-दान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया रहेगा और रवि योग भी रहेगा। आइए जानें इसकी तिथि और पूजा विधि

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 11:56 PM
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इस बार मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है।

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि पर प्रात: पवित्र नदी में स्नान, व्रत और दान का बहुत महत्व बताया गया है। इस पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन रात में चंद्रोदय पर चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। हालांकि भद्रा भी उसी दिन रहेगी। आइए जानते हैं, मार्गशीर्ष पूर्णिमा की सही डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तारीख

पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर 2025 गुरुवार सुबह 8:37 बजे शुरू होगी और 5 दिसंबर शुक्रवार सुबह 4:43 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर को है।

रवि योग का संयोग 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग का समय सुबह 6:59 बजे से दोपहर 2:54 बजे तक है। इस योग में स्नान-दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

शुभ मुहूर्त


स्नान-दान का समय : सुबह 8:38 बजे से दिनभर स्नान और दान का समय रहेगा। स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, कंबल या अपनी क्षमता अनुसार दान करें।

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5:10 बजे से 6:04 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक

निशीथ काल मुहूर्त : रात 11:45 बजे से मध्यरात्रि 12:39 बजे तक

चंद्रोदय का समय : शाम 4:35 बजे

लक्ष्मी पूजा का समय

पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा को प्रदोष काल में की जाती है। सूर्यास्त से कुछ देर पहले से प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। इसी समय लक्ष्मी जी की पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।

पूर्णिमा पर रहेगा भद्र का साया

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि पर भद्रा भी रहेगी। इस दिन भद्रा सुबह 8:37 बजे से शाम 6:40 तक है। हालांकि ये भद्रा स्वर्ग लोक में होगी, इसलिए इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं माना गया है।

राहुकाल : दोपहर 1:29 बजे से दोपहर 2:48 बजे तक

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

इस दिन स्नान, दान और लक्ष्मी पूजा करने से सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष शांत होता है और मन मजबूत होता है। घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करवाना भी बेहद शुभ फल देता है।

पूजा विधि

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, कंबल या अपनी क्षमता अनुसार दान करें।
  • घर के पूजा स्थान को साफ करके चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रमा का प्रतीक रखें।
  • सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी जी को फूल, मिठाई, अक्षत और कमलगट्टा चढ़ाएं और “ॐ श्री महालक्ष्म्यैनमः” का जाप करें।
  • चंद्रोदय के समय तांबे के लोटे में दूध, पानी और मिश्री मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और “ॐ सोमाय नमः” मंत्र बोलें।
  • रात में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें और दीपक जलाएं।

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